सरकार ने रेल टिकटों की कालाबाजारी को जड़ से समाप्त करने के लिए टिकट बुकिंग एजेंटों की नियुक्ति की व्यवस्था समाप्त करने का फैसला किया है और यात्री अपने मोबाइल फोन या निजी कंप्यूटर से अथवा कॉमन सर्विस सेंटर से टिकट बुक करा सकेंगे।
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने यहाँ लोकसभा में आम बजट 2020-21 के तहत रेल मंत्रालय की अनुदान माँगों पर गुरुवार को हुई चर्चा का उत्तर देने के दौरान यह घोषणा की। श्री गोयल ने कहा कि रेलवे टिकटों की कालाबात्रारी पर लगाम लगाने के उद्देश्य से उन्होंने ऐसे एजेंटों के खिलाफ एक गहन जाँच-पड़ताल के बाद मुहिम छेड़े।
रेलवे के तत्काल टिकट को बुक करने वाले अवैध सॉफ्टवेयरों को पकड़ा है और दलालों के खिलाफ कार्रवाई की है। सॉफ्टवेयर बेचने वाले 104 लोगों और 5,300 दलालों को गिरफ्तार किया गया है। 884 वेंडरों को कालीसूची में डाला गया है। रेल मंत्री ने कहा कि सरकार ने इस पूरे गोरखधंधे को देखते हुए बुकिंग एजेंटों की नियुक्ति को बंद करने का फैसला किया गया है।
आजकल सबके पास स्मार्टफोन होते हैं। लोग अपने फोन से बुकिंग कर सकते हैं। सरकार के कॉमन सर्विस सेंटरों से भी टिकट बुक कराया जा सकता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे गारंटी वाले टिकटों के झाँसे में नहीं आयें और ईमानदारी से टिकट खरीदें। उन्होंने कहा कि हाल में चलाये गये अभियान में 10 करोड़ रुपये के ऐसे टिकट रद्द किये गये हैं जो अवैध सॉफ्टवेयर से बनाये गये थे। लोगों का पैसा भी डूबा और टिकट भी हाथ से गया। इसलिए लोग गलत चक्करों में नहीं आयें तथा ईमानदारी से टिकट खरीदें।
श्री गोयल ने गाड़ियों के ठहराव के संबंध में सांसदों की माँगों पर जवाब देते हुए कहा कि बीते 50-60 वर्षों में अनेक प्रकार के दबावों में कई स्टेशनों पर मेल एक्सप्रेस गाड़ियों को ठहराव दिये गये जबकि वहाँ गाड़ियों में पाँच-दस-पंद्रह यात्री ही सवार होते हैं। ये ठहराव रेलवे के नेटवर्क को जाम करते हैं। रेलवे की सलाहकार समिति ने साहसिक निर्णय लिया और सभी ऐसे ठहरावों की वाणिज्यिक दृष्टि से जाँच करके पुनर्निर्धारित किया जायेगा।
इससे समयबद्धता बढ़ेगी और सांसदों की मांग पर नये ठहराव दिये जा सकेंगे। समयबद्धता के बारे में रेलमंत्री ने बताया कि उन्होंने इस समस्या की जड़ पर प्रहार किया है और उपग्रहों के माध्यम से गाड़ियों की स्थिति को स्वचालित प्रणाली से जोड़ा जिससे सही तस्वीर सामने आयी और इसके बाद समयबद्धता पर फोकस किया गया। जो गाड़ियां आठ घंटे-छह घंटे की देरी से चलतीं थीं, उन्हें चिह्नित करके ध्यान दिया गया और 2019-20 में ऐसी गाड़ियां घटकर 47 रह गयीं हैं जबकि एक साल पहले ऐसी 87 गाड़ियां थीं।
श्री गोयल ने बताया कि रेलवे ने 2017 से लेकर 2020 तक एक लाख 47 हजार 620 कर्मचारियों की भर्ती की है। इनमें 35 हजार 208 एनटीपीसी श्रेणी के, 1663 पृथक श्रेणी के और एक लाख तीन हजार 770 लेवल-1 के पद हैं। उन्होंने कहा कि रेलवे को बीते पाँच साल में जैसी गति मिली है उससे यात्री एवं मालवहन दोनों क्षेत्र में सुधार आया है। सुविधाओं को बढ़ने के साथ ही जब थोड़ा सा बोझ बढ़ाया तो जनता ने उसे स्वीकार किया है।