भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सहकारी बैंकों पर नियमों का शिकंजा कसते हुए बड़े नगरीय सहकारी बैंकों (यूसीबी) को अपने यहां प्रबंधकीय परिषद (बीओएम) बनाने के निर्देश दिए हैं जिनमें विशेषज्ञ होंगे और वे बैंक के कार्यव्यवहार पर निगाह रखेंगे। आरबीआई ने मंगलवार को इस बारे में दिशानिर्देश जारी किया।
पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक में हाल के घोटाले के बाद केंद्रीय बैंक ने सहकारी बैंकों की नियम व्यवस्था को कसना शुरू किया है। इसी सिलसिले में यह निर्णय लिया गया है। यह 100 करोड़ रुपये से अधिक की जमा वाले यूसीबी पर लागू होगा। रिजर्व बैंक ने कहा है कि चूंकि यूसीबी बैंक आम लोगों से जमा राशि स्वीकार करते हैं लिहाजा यह जरूरी है कि उनके लिए एक अलग व्यवस्था बनायी जाए ताकि जमाकर्ताओं के हित को सुरक्षित रखा जा सके।
दिशानिर्देश में कहा गया है कि ‘‘100 करोड़ रुपये या उससे अधिक की जमा राशि रखने वाले बैंकों में निदेशक मंडल (बीओडी) के साथ साथ एक प्रबंधकीय परिषद (बीओएम) भी होगी। बीओडी ही बीओएम का गठन करेगा। बैंकों को इसके लिए अधिकतम एक वर्ष का समय दिया गया है।
बीओएम में बैंक के मुख्य कार्यपालक को छोड़ कर पांच से 12 की संख्या में सदस्य हो सकते हैं। इसमें मुख्य कार्यपालक को मताधिकार नहीं होगा। यह निकाय बैंक के बैंकिंग संबंधी कार्यव्यवहार पर निगाह रखेगा। रिजर्व बैंक को यदि ऐसा लगता है कि मुख्य कार्यपालक या बीओएम के किसी सदस्य के काम से बैंक या जमाकर्ताओं का हित प्रभावित हो सकता है या वह बोर्ड की सदस्यता की शर्तों पर वह खरा नहीं उतरता तो उसे उसे हटाने का रिजर्व बैंक को अधिकार होगा।