नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्थित वेदांता के स्टरलाइट संयंत्र को दोबारा खोलने की मंजूरी देने से सोमवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि उसने तमिलनाडु सरकार की अपील को सिर्फ राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश के प्रभावी होने के आधार पर अनुमति दी है।
पीठ ने कहा कि अधिकरण को संयंत्र दोबारा खोलने की अनुमति देने का कोई अधिकार नहीं है। शीर्ष अदालत वेदांता समूह की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अधिकरण का आदेश लागू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। अधिकरण ने स्टरलाइट संयंत्र बंद करने का सरकार का निर्णय निरस्त कर दिया था। तमिलनाडु सरकार ने भी शीर्ष अदालत में अपील दायर की थी जिसमें उसने कहा था कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने स्टरलाइट संयंत्र के संबंध में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कई आदेशों को त्रुटिपूर्ण तरीके से निरस्त कर दिया।
राज्य सरकार ने कहा था कि अधिकरण ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सहमति के नवीनीकरण के बारे में नये सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया था। अधिकरण ने 15 दिसंबर को स्टरलाइट संयंत्र बंद करने का राज्य सरकार का आदेश यह कहते हुये निरस्त कर दिया था कि यह अनुचित है और कानून के समक्ष टिकने योग्य नहीं है।
मद्रास हाईकोर्ट जाने की छूट : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एजीटी का आदेश खारिज कर दिया। उसने कहा कि वेदांता ग्रुप चाहे तो मद्रास हाईकोर्ट में तुरंत सुनवाई की अपील कर सकता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से कहा है कि पुलिस फायरिंग में 13 लोगों के मारे जाने की बिना पक्षपात जांच होनी चाहिए। स्टरलाइट प्लांट के बाहर पिछले साल हिंसक प्रदर्शन हुआ था। 22 मई 2018 को पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी थी। जिसकी वजह से 13 लोगों की मौत हुई और कई घायल हो गए थे।