मुंबई : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश के वृहद आर्थिक बुनियादी कारक मजबूत बने हुए हैं और सरकार राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर चलने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बावजूद मुद्रास्फीति इसके निर्धारित दायरे में बनी हुई है। उन्होंने कहा कि 2,600 अरब डॉलर की भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक ‘आकर्षक स्थल’ के रूप में उभरी है। चालू वित्त वर्ष में इसमें 7.4 प्रतिशत वृद्धि रहने की उम्मीद की जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टेमेंट बैंक (एआईआईबी) के गवर्नरों की तीसरी वार्षिक बैठक को यहां संबोधित करते हुए यह बात कही। प्रधानमंत्री ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बावजूद मुद्रास्फीति निर्धारित दायरे में बनी हुई है। सरकार राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर चलने को लेकर दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब मई में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 4.87 प्रतिशत पर पहुंच गयी, जो कि लगातार सातवें महीने निर्धारित 4 प्रतिशत के दायरे से ऊपर बनी हुयी है। उन्होंने कहा कि जीडीपी प्रतिशत के रूप में सरकारी कर्ज में लगातार गिरावट आई है। साथ ही काफी लंबे इंतजार के बाद भारत की रेटिंग में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत का आर्थिक पुनरुत्थान एशिया के अन्य हिस्सों की वृद्धि को प्रतिबिंबित करता है और अब भारत दुनिया की वृद्धि का अगुवा बन गया है। आर्थिक मोर्चे पर अर्थव्यवस्था के लिए किसी भी तरह के बाह्य खतरे को दूर करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के पास 400 अरब डॉलर से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार है, जो कि किसी भी बाह्य झटके से निपटने के लिए पर्याप्त है।
वृहद आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता और सहयोगी नियामकीय रूपरेखा के साथ भारत दुनिया की सबसे अधिक निवेशक-अनुकूल अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशी निवेशकों के लिहाज से भारत को बेहद कम जोखिम वाली राजनीतिक अर्थव्यवस्था के रूप में गिना जाता है। सरकार ने निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। हमनें कारोबारियों के लिए नियमों को सरल किया है और बड़े सुधारवादी कदम उठाए हैं। एफडीआई निवेश तेजी से बढ़ा है। पिछले चार वर्षों में 222 अरब डॉलर का विदेशी निवेश हुआ है।
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