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भारतीय टीम के इस तेज़ गेंदबाज ने क्रिकेट से लिया संन्यास, कई सालों तक जूझ रहे थे इस समस्या से

भारतीय टीम के तेज गेंदबाज विक्रम राजवीर सिंह ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट के सभी प्रारुपों से संन्यास ले लिया है।

भारतीय टीम के तेज गेंदबाज विक्रम राजवीर सिंह ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट के सभी प्रारुपों से संन्यास ले लिया है। उनका क्रिकेट कैरियर चोटों से खासा प्रभावित रहा है।

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वीआरवी सिंह ने अपने क्रिकेट कैरियर की शुरूआत साल 2006 में इंग्लैंड के खिलाफ वनडे मैच से की थी। बता दें कि राष्ट्रीय भारतीय टीम के लिए वीआरवी सिंह ने दो वनडे मैच खेले हैं। दोनों ही वनडे मैच इंग्लैंड के खिलाफ जमशेदपुर और इंदौर में खेले थे।

वीआरवी सिंह ने लिया संन्यास

वीआरवी सिंह ने अपने टेस्ट कैरियर की शुरूआत भी साल 2006 में कर दी थी। वेस्टइंडीज के खिलाफ वीआरवी सिंह ने पहला टेस्ट मैच सेंट जोंस में खेला था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन्होंने टेस्ट कैरियर में चार मैच खेले थे। वीआरवी सिंह ने अपना आखिरी टेस्ट मैच साल 2007 में बांग्लादेश के खिलाफ खेला था। इनका पूरा क्रिकेट कैरियर चोटों और खराब प्रदर्शन से प्रभावित रहा है।

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आईपीएल में साल 2008 और 2010 में वीआरवी सिंह ने किंग्स इलेवन पंजाब का नेतृत्व करा था। वीआरवी सिंह ने आईपीएल में 19 मैच खेले थे जिसमें 12 विकेट लिए थे। इसके साथ ही वीआरवी सिंह ने प्रथम श्रेणी का अपना आखिरी मैच साल 2014 में पंजाब टीम के लिए खेला था। हालांकि भारत का सबसे प्रतिभावान क्रिकेट भी वीआरवी सिंह को माना जाता था। वीआरवी सिंह तेज गेंदबाजी के साथ-साथ बल्लेबाजी भी करते थे।

 

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20 साल की उम्र में वीआरवी सिंह ने पंजाब केलिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू किया था। लेकिन वह उच्च स्तर पर मौके का फायदा उठाने में नाकाम रहे। इंटरनेशनल स्तर पर उन्होंने कुल 7 मैच खेले जिसमें उन्होंने 8 विकेट झटके।

कोशिश की वापसी करने की लेकिन नाकाम रहे

वीआरवी सिंह ने कहा, मैंने वापसी करने की बहुत कोशिश की। मगर मेरी एड़ी नहीं बल्कि पीठ समस्या से ज्यादा परेशान किया। आप अपने शरीर को मूर्ख नहीं बना सकते। मेरी सर्जरी हुई, रिहैब हुए। 2014 के बाद तो मैंने कुछ साल खेला ही नहीं। मगर मैंने ट्रेनिंग की और 2018 में खेलने का प्रयास किया। मगर मैं नहीं खेल पाया, इसलिए अपने भविष्य के बारे में सोचना शुरू किया।

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वीआरवी सिंह ने आगे कहा, यह एक रात में लिया गया फैसला नहीं है। युवी ने मुझे काफी प्रोत्साहित किया। पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन ने भी मेरा काफी साथ दिया, मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की। मगर दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ। मुझे लगा कि संन्यास ले लेना चाहिए और सोचना चाहिए कि आगे क्या करना है।

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