नई दिल्ली : बधाई हो, लक्ष्मी हुई है। घड़ी की सुइयों ने मंगलवार रात को जैसे ही 12:20 होने का इशारा किया, लेडी हार्डिंग के लेबर रूम में एक बाल क्रंदन सुनाई पड़ा। इसके कुछ देर बाद ही दरवाजा खुला और बाहर खड़े ठाकुर सिंह से नर्स ने कहा, बधाई हो, लक्ष्मी आई है। उनकी पत्नी अल्का ने एक बेटी को जन्म दिया है।
यह सुनते ही करोलबाग के ठाकुर सिंह के आखों में खुशी के आंसू छलक आए। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वर्ष 2019 के पहले घंटे में ही उन्हें इतनी बड़ी खुशी मिलेगी। यूनिसेफ को अब तक मिले आंकड़ों के अनुसार यह 2019 में दिल्ली की पहली बच्ची हो सकती है। बच्ची का वजन 2.72 किग्रा है और वह स्वस्थ है।
यूनिसेफ की माने तो 2019 के पहले कुछ घंटों में ऐसी ही खुशी देश के 69,944 परिवारों को मिली। वहीं दुनिया भर में 3,95,072 बच्चों ने जन्म लिया। यानी की दुनिया भर में पैदा हुए बच्चों में से करीब 18 प्रतिशत अकेले भारत में पैदा हुए। जबकि चीन 44,940 बच्चों के साथ दूसरे स्थान पर रहा। पिछले दो वर्षों की तुलना करें तो लगातार दूसरी बार नए साल पर भारत में सबसे ज्यादा शिशुओं ने जन्म लिया है।
साथ ही वर्ष 2018 की अपेक्षा अबकी बार चीन में 180 बच्चों की वृद्धि हुई है। वहीं भारत में ये संख्या 874 दर्ज की गई है। साल 2018 में भारत में 69,070 और दूसरे नंबर पर चीन (44,760) रहा। यूनिसेफ का अनुमान है कि इन नवजात शिशुओं में से कुछ 24 घंटे भी जीवित नहीं रह पाएंगे। साल 2016 में हर दिन अनुमानित 2,600 शिशुओं की मौत जन्म के 24 घंटे के भीतर ही हो गई थी।
वहीं 2017 में दुनिया में 10 लाख शिशुओं की मौत जन्म के कुछ ही घंटे के दौरान हुई। जबकि 25 लाख बच्चे पहले माह में ही मौत के शिकार हुए। ज्यादातर बच्चों की मौत के पीछे प्रीमैच्योर, गर्भावस्था के दौरान परेशानी और संक्रमण मुख्य वजहें हैं।