गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को नई दिल्ली में पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (BPRD) के 51वें स्थापना दिवस को संबोधित किया। इस दौरान गृह मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र हमारे देश का स्वभाव है। अगर कोई कहता है कि लोकतंत्र 15 अगस्त 1947 के बाद या 1950 में संविधान अपनाने के बाद ही आया, तो यह गलत है।
स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, लोकतंत्र हमारे देश का स्वभाव है। अगर कोई कहता है कि लोकतंत्र 15 अगस्त 1947 के बाद या 1950 में संविधान अपनाने के बाद ही आया, तो यह गलत है। उन्होंने कहा, पहले भी गांवों में ‘पंच परमेश्वर’ हुआ करते थे। हजारों साल पहले द्वारका में यादवों का गणतंत्र था। बिहार में गणतंत्र थे, इसलिए लोकतंत्र हमारे देश का स्वभाव रहा है।
देश की आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस के हाथों में है जबकि विभिन्न केंद्रीय पुलिस बल सीमाओं की निगरानी मुस्तैदी से कर रहे हैं। उन्हें यह कहने में कोई संकोच नहीं है की देश बहुत सलामत हाथों में है। उन्होंने कहा कि भारत बहुत तेजी से 50 खरब रुपए की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है और इसे आगे बढ़ने से रोकने के लिए विभिन्न स्तर पर प्रयास किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में हमारे पुलिस बालों को बढ़ती और निरंतर बदलती चुनौतियां से निपटने के लिए हमेशा मुस्तैदी और ताकत के साथ तैयार रहना होगा।
उन्होंने कहा कि ब्यूरो को इस मामले में राज्यों की पुलिस और केंद्रीय पुलिस बलों को हर तरह से सक्षम बनाकर तथा उनकी क्षमता निर्माण करने में आगे बढ़कर महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा, पता नहीं क्यों, लेकिन पुलिस की छवि खराब करने की कोशिश की गई, आप कह सकते हैं कि अभियान चल रहे थे। कुछ घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया और कुछ अन्य अच्छी घटनाओं को स्थान नहीं दिया गया। पूरे सरकारी तंत्र में सबसे कठिन काम पुलिस कर्मियों द्वारा किया जाता है।
गृह मंत्री ने कहा, 75 सालों में देश में 35,000 पुलिस के जवानों ने बलिदान दिया इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलिस स्मारक की रचना की जो बताता है कि पुलिस 35,000 बलिदानों के साथ देश की सेवा में खड़ी है। अगर क़ानून व्यवस्था ठीक नहीं है तो लोकतंत्र कभी सफल नहीं हो सकता है। क़ानून व्यवस्था को ठीक रखने का काम पुलिस करती है।
उन्होंने कहा, कोई भी संस्था हो, वह अपने क्षेत्र के अंदर 51 साल तक अपनी प्रासंगिकता को बना सकता है और बनाए रखता है तो उसका मतलब है उसके काम में प्रासंगिकता और दम दोनों हैं।