नई दिल्ली : ग्रेटर कैलाश से गत 15 नवंबर को अगवा हुए टेलीविस्ता इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी के मालिक अरुण शर्मा (64) की उनके ही पुराने दोस्त ने संपत्ति विवाद में 25 लाख रुपए की सुपारी देकर हत्या कराई थी। दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने मामले में अरुण शर्मा के दोस्त व उसके बेटे समेत पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने आरोपियों की पहचान गुरुग्राम निवासी डॉ. ऋषि राजपाल सिंह चौहान (64), इसके बेटे हितेश चौहान (29), दोस्त के बेटे अमेत विक्रम छाबड़ा (32), साहिल उर्फ बंटी (25) और झांसी, यूपी निवासी प्रियंक खन्ना (34) के रूप में की है।
पुलिस ने आरोपियों के पास से वारदात में इस्तेमाल कार और मोबाइल फोन बरामद कर लिए हैं। एडिशनल सीपी बीके सिंह ने बताया कि अरुण शर्मा को अगवा करने वाले बदमाशों ने उन्हें अगवा करने के कुछ मिनट बाद ही उनकी गला घोंट कर हत्या कर दी थी। छानबीन के दौरान क्राइम ब्रांच को आरोपियों की सीसीटीवी फुटेज भी बरामद हुई है। बदमाशों ने अरुण की हत्या के बाद शव को यूपी के झांसी स्थित नहर में ठिकाने लगा दिया गया था।
फिलहाल अभी अरुण का शव बरामद नहीं हो सका है। बीके सिंह ने बताया कि अपहरण और हत्या की इस गुत्थी को डीसीपी जॉय टिर्की के नेतृत्व में एसीपी अरविंद कुमार की टीम में शामिल इंस्पेक्टर सतीश कुमार, अमलेश्वर राय, मनोज कुमार, एसआई योगराज, एएसआई ब्रह्मदेव, हेड कांस्टेबल सुनील, कांस्टेबल आजाद, ओमवीर आदि ने सुलझाया है।
डीसीपी जॉय टिर्की ने बताया कि 15 नवंबर को ग्रेटर कैलाश निवासी शर्मा गुरुग्राम कोर्ट में अपनी तारीख पर जाने के लिए पैदल मेट्रो स्टेशन के पास निकले थे। मगर वह न कोर्ट पहुंचे और न ही घर। अरुण की बहन शशि किरन शर्मा ने मामला दर्ज कराया।
संपत्ति को लेकर था विवाद
शशि ने पुलिस को बताया कि गुरुग्राम की एक प्रॉपर्टी को लेकर अरुण का अपने पुराने दोस्त डॉक्टर ऋषिराज चौहान व उनकी पत्नी चंदर बाला से विवाद चल रहा था। शशि ने उन पर ही अरुण को गायब करने का आरोप लगाया। लोकल पुलिस कारोबारी का पता नहीं लगा लगा पाई तो गत 27 नवंबर को मामला क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर कर दिया गया।
सीसीटीवी फुटेज में दिखी कार
जांच के दौरान क्राइम ब्रांच की टीम को वारदात वाले दिन की एक जगह से सीसीटीवी फुटेज मिली। जिसमें पुलिस को एक संदिग्ध स्कॉर्पियो कार नजर आई। इसी कार से अरुण को अगवा किया गया था। पुलिस को गाड़ी का नंबर मिल गया। जांच में गाड़ी का नंबर फर्जी निकला।
डॉक्टर ने उगला सच
क्राइम ब्रांच ने शक के आधार पर ऋषि से पूछताछ की। शुरू में वह पुलिस को बरगलाता रहा। मगर जब पुलिस ने उसे सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया। उसने बताया कि अरुण शर्मा की उसने ही प्रॉपर्टी विवाद में सुपारी देकर हत्या करवाई है। वारदात में उसके बेटे हितेश के अलावा दोस्त का बेटा अमेत, अमेत का मौसेरा भाई प्रियंक और अमेत का कर्मचारी साहिल शामिल है। इस वारदात को अंजाम देने के लिए उसने 25 लाख रुपए की सुपारी दी थी। ऋषिराज के खुलासे के बाद पुलिस ने बुधवार को ही हितेश, अमेत, प्रियंक और साहिल को गिरफ्तार कर लिया।
क्या था विवाद
अरुण शर्मा और ऋषि एक दूसरे को काफी समय से जानते थे और दोस्त थे। ऋषि के पास सेक्टर-17, वैभव इस्टेट में एक प्रॉपर्टी थी। वर्ष 2009 में अरुण ने ऋषि से उसे खरीद लिया। लेकिन ऋषि ने प्रॉपर्टी खाली नहीं की। दोनों के बीच प्रॉपर्टी को लेकर कोर्ट केस चला। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सितंबर 2019 में अरुण सुप्रीम कोर्ट से मुकदमा जीत गया। मौजूदा समय में प्रॉपर्टी की कीमत करीब तीन करोड़ रुपए है। गत 15 नवंबर को गुरुग्राम कोर्ट में प्रॉपर्टी कब खाली करनी है इस पर सुनवाई थी। अरुण उसी की सुनवाई के लिए घर से निकले थे।
हत्या के बाद व्हाट्सएप पर भेजे थे फोटो
मुख्य आरोपी ऋषि राजपाल के दोस्त हर्ष छाबड़ा के बेटे अमेत व उसके साथियों ने अरुण शर्मा की ग्रेटर कैलाश मेट्रो स्टेशन से अगवा कर हत्या कर दी। अमेत ने शव के फोटो हितेश को व्हाट्सएप किए। लेकिन हितेश को यकीन नहीं हुआ। उसने अमेत से कहा कि वह शव लेकर गुरुग्राम आए। स्कोर्पियो गाड़ी से अमेत शव लेकर गुरुग्राम पहुंचा। सब देखने के बाद हितेश को यकीन हुआ।
कौन हैं पकड़े गए आरोपी…
डॉ. ऋषि राजपाल सिंह चौहान पेशे से बीएएमएस डॉक्टर हंै। वह बकायदा अपनी प्रॉपर्टी में प्रेक्टिस करने के अलावा पीजी भी चलाता है। ऋषि ने दो शादियां की हैं। हितेश पहली पत्नी का बड़ा बेटा है। हितेश एमबीए करने के बाद एलएलबी कर रहा है और अपने पिता का कारोबार भी संभालता है। अमेत ऋषि के दोस्त हर्ष छाबड़ा का बेटा है और ग्रेजुएशन करने के अलावा वह गुरुग्राम में अपनी इनवर्टर शॉप चलाता है। प्रियांक अमेत की मौसी का लड़का है और अमेत के साथ ही उसकी दुकान पर काम करता है। साहिल अमेत का कर्मचारी है।
ऐसे दिया वारदात को अंजाम…
गिरफ्तारी के बाद आरोपियों ने बताया कि अरुण जब कोर्ट के लिए निकले तो ग्रेटर कैलाश मेट्रो स्टेशन के पास से ही स्कोर्पियो कार से उन्हें अगवा कर लिया गया। अपहरण के चंद ही मिनटों बाद उनकी शॉल से गला घोंटकर हत्या कर दी गई। बाद में अरुण के शव को लेकर अमेत, प्रियंक और साहिल गुरुग्राम पहुंचे। वहां हितेश को अरुण का शव दिखाने के बाद उसके कहने पर शव को झांसी की नहर में ठिकाने लगा दिया गया। शव ठिकाने लगाने के बाद तीनों आरोपी गुरुग्राम वापस आ गए।