नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने सोमवार को आप सरकार के 100 करोड़ रुपए के घोटाले को उजागर किया। गुप्ता ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि डार्क स्पाॅट में एलईडी स्ट्रीट लाईट लगाने के नाम पर बड़ी अनियमितताएं की जा रही हैं। भारत सरकार ने सारे राष्ट्र में सार्वजनिक मार्गों पर लगे हुए हाई प्रेशर सोडियम वेपर लेम्पों के स्थान पर एलईडी बल्ब लगाने के आदेश दे रखे हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र के आदेश के बावजूद दिल्ली सरकार ने पिछले 5 वर्षों के दौरान राजनीतिक दुर्भावना के चलते भारत सरकार के आदेश का अनुपालन नहीं किया। इसके कारण लोक निर्माण की सड़कों पर उच्च वाट के एक लाख बल्ब नहीं लगाए गए। इसका फायदा उठाते हुए कुछ समय पूर्व आम आदमी पार्टी सरकार ने तीनों डिस्काॅम के माध्यम से इन बल्बों को खरीदने और लगाने का निर्णय लिया। नेता विपक्ष ने आप सरकार से 6 प्रश्नों के उत्तर मांगे हैं।
गुप्ता ने इस बात की आलोचना की कि आप सरकार ने इन तीनों निजी कंपनियों को अवैध रूप से 100 करोड़ रुपए का बजट आवंटित कर दिया। उन्होंने सीबीआई की दखल की मांग करते हुए कहा कि पैसा कमाने के इस गैरकानूनी तरीके को बंद किया जाना चाहिए। इस मौके पर विधायक जगदीश प्रधान, मनजिन्दर सिंह सिरसा, पूर्व विधायक कपिल मिश्रा, अनिल बाजपेई उपस्थित थे।
नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि सबसे आश्चर्य तथ्य यह है कि आप सरकार ने निविदा करने का दायित्व सरकार को या किसी सरकारी एजेंसी को न सौंपकर बिजली वितरित करने वाली तीन प्राइवेट कंपनियों बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड, बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड तथा टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड को सौंप दिया।
यहां से हुआ करोड़ों के घोटाले का जन्म
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि तीनों डिस्काम कंपनियों ने 100 करोड़ की कीमत के 2.1 लाख एलईडी स्ट्रीट लाइट खरीदने और लगाने के टेंडर जारी किये। इस सिस्टम में 10 से 40 वाट के बल्ब लगाए जाने हैं। इन पर 5000 रुपए प्रति प्वाइंट खर्चा आना था। यह राशि मार्केट रेट से कहीं ज्यादा है।
आज जब बिजली कंपनियां स्ट्रीट लाईट एलईडी बल्बों पर 7 वर्ष की गारंटी दे रहे हैं तब इन कंपनियों ने मात्र 3 वर्ष की गारंटी मांगी। इससे इन कंपनियों की दुर्भावना प्रकट होती है। इस सारी प्रक्रिया से सौ करोड़ रुपए के घोटाले का जन्म हुआ।