कोरोना काल में कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर पिछले करीब 6 महीने से राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे प्रदर्शनकारी किसानों ने अपने खान-पान में नींबू शर्बत और देसी काढ़े का सेवन बढ़ा दिया है। देश में कोरोना वायरस संक्रमण से रोजाना सैकड़ों लोग अपनी जान गवां रहे हैं और हजारों लोग रोजाना बीमारी की चपेट में आकर संक्रमित भी हो रहे हैं। इसके बावजूद आंदोलन कर रहे किसान अपनी मांगों को मनवाए बिना वापस लौटने को तैयार नहीं हो रहे हैं। किसानों ने कोरोना वायरस के खिलाफ रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जिंक और मल्टी-विटामिन की खुराक लेनी शुरू कर दी है।
हालांकि, किसानों का कहना है कि वे कोविड-19 टीकाकरण करवाने के लिए तैयार हैं। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के सैकड़ों किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। कई किसानों को कोरोना वायरस संक्रमित पाए जाने के बाद वहां से हटाया जा रहा है और लक्षण वाले कुछ आंदोलनकारियों का उपचार जारी है। किसान सुखविंदर सिंह ने कहा, ”सिंघू बॉर्डर पर कोरोना वायरस के मामले नहीं हैं। किसान अपना ख्याल रख रहे हैं और वे देसी काढ़ा और मल्टी-विटामिन का सेवन कर रहे हैं। बॉर्डर इलाके में हालात पहले की तरह ही सामान्य हैं। यहां चिंता करने जैसी कोई बात नहीं है।”
किसान नेता कुलवंत सिंह ने कहा कि सिंघू बॉर्डर के एक अस्पताल में टीकाकरण केंद्र का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ”हमारे एक नेता कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे। वह अब ठीक हैं। जिन लोगों में लक्षण दिखाई दे रहे हैं, उनकी जांच करवाई जा रही है। बॉर्डर पर आंदोलनरत किसान पोषक आहार ले रहे हैं। बॉर्डर के पास अस्पताल में टीकाकरण अभियान चल रहा है। मैंने पंजाब में टीके की पहली खुराक ली है। अगली खुराक के लिए भी मैं वापस पंजाब जाऊंगा।” टीकरी बॉर्डर पर किसान नेता बूटा सिंह ने कहा,”हमने टीकाकरण के वास्ते अधिकारियों से टीकरी बॉर्डर पर केंद्र स्थापित करने का अनुरोध किया था लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया।”