पश्चिमी दिल्ली : बवाना इंडस्ट्रियल एरिया के सेक्टर-5 स्थित एफ-83 की खौफनाक मंजर के बाद खंडहर पड़ी इमारत को रविवार सुबह से ही देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। इनमें ज्यादातर वे लोग थे जो या तो आसपास की फैक्ट्रियों में लेबर हैं या छोटे-मोटे लकड़ी के खोखे लगाकर मेहनत मजदूरी कर रहे हैं। मगर एफ -83 में इस मौत के मंजर को देखने के बाद आसपास के लोगों का कहना है कि इस अवैध फैक्ट्री में छुट्टी वाले दिन पैसों का लालच देकर काम कराया जा रहा था। अगर कोई इंकार करता तो उसे नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती थी। मजदूरों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए धड़ल्ले से काम चल रहा था।
सुबह 9 बजे से लेबर के आते ही बाहर से ताला लगा दिया जाता था। तर्क ये था कि पुराना ऑर्डर पर माल बनाकर जल्दी क्लीयर करना है। पीड़ित परिवारों का अपना-अपना मिलाजुला दर्द था। बताया गया कि फैक्ट्री में शनिवार को जानबूझकर बुलाया जाता था। छुट्टी के दिन काम का किसी को पता न चले इसके लिए यहां की अधिकतर फैक्ट्रियों में बाहर से लॉक लगा रहता है। हादसे वाले दिन भी यहीं हुआ। लेबर पर निगरानी रखने के लिए बतौर सिक्योरिटी गार्ड एक व्यक्ति भी होता था। मगर हादसे के वक्त वह कहां था, किसी को नहीं मालूम।
आसपास की फैक्ट्रियों में मौजूद कर्मचारियों की जब आग के साथ आसमान में उठ रहे काले धुएं पर नजर गई तो लोग जब दरवाजे की तरफ आए तो बाहर से ताला लगा मिला। पास ही में लेबर का काम करने वाले सुरेश ने बताया कि पहली मर्तबा तो ऐसा लगा कि अंदर कोई है नहीं। लेकिन कुछ देर बाद उसका भी धुएं की वजह से दम घुटने लगा। अंदर से चीखने चिल्लाने की आवाजें आईं। मगर कुछ भी न दिखाई दे रहा था और नहीं कुछ समझ पा रहे थे। फैक्ट्री में ताला लगा होने के कारण मौते ज्यादा हुई।
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