नई दिल्ली : स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्लास्टिक के इस्तेमाल पर की गई अपील के बाद एजेंसियों ने भी कमर कस ली है। इस कड़ी में साउथ एमसीडी के हर जोन में दुकानदारों के साथ-साथ लोगों से भी प्लास्टिक की थैलियों की जगह जूट या कपड़े के थैले का प्रयोग करने की अपली की गई है। इसके लिए साउथ एमसीडी जोनों की ओर से सार्वजनिक सूचना के तौर पर जगह-जगह पंफलेट बांटे और चस्पाए गए हैं।
इसमें लिखा गया है कि दुकानदार, रेहड़ी-पटरी वाले 50 माइक्रोन से कम वाली पॉलिथीन बैग का इस्तेमाल न करें। दुकानों, रेहडि़यों-पटरियों पर पॉलिथीन बैग पाए जाने पर जब्त करने के साथ-साथ एनजीटी के आदेशानुसार पांच हजार रूपए का चालान भी किया जाएगा। साथ ही लोगों से भी इसका इस्तेमाल न कर पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करने की अपील की गई है।
वहीं, नॉर्थ एमसीडी मेयर ने भी लोगों को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में उन्होंने कमिश्नर वर्षा जोशी को पत्र लिखा है। पत्र में 2 अक्टूबर से प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग के विरुद्ध लोग को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को प्लास्टिक के उपयोग से पर्यावरण में हो रहे नुकसान के बारे में जानकारी दी जाएगी। बता दें कि 10 अगस्त 2017 को एनजीटी ने भी इस संबंध में ऑर्डर जारी किया था।
एनजीटी ने अपने ऑर्डर में कहा था कि दिल्ली में अब किसी व्याक्ति के पास से प्लास्टिक की थैलियां पाए जाने पर उसे जुर्माना भरना होगा। एनजीटी के तत्कालीन चेयरपर्सन जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अगुवाई वाली बेंच ने यह आदेश दिया था कि यदि किसी व्यक्ति के पास से इस तरह के प्रतिबंधित प्लास्टिक बरामद होते हैं तो उसे 5000 रुपए पर्यावरण क्षतिपूर्ति के तौर पर भरना होगा। उस सुनवाई के दौरान एनजीटी ने 50 माइक्रोन से भी कम मोटाई वाले नॉन-बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक की थैलियों के इस्तेमाल पर अंतरिम प्रतिबंध लगाई थी। जबकि 1 जनवरी 2017 को एनजीटी ने डिस्पोजेबल प्लास्टिक के इस्तेमाल पर दिल्ली एनसीआर में रोक लगा दी थी।
साथ ही दिल्ली सरकार को डंप किए हुए कचरे को कम करने के संबंध में कदम उठाने का निर्देश दिया था। एनजीटी ने दिल्ली में विशेषकर होटलों, रेस्तराओं और सार्वजनिक एवं निजी कार्यक्रमों में डिस्पोजेबल प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाई थी। सार्वजनिक स्थानों पर ऐसे कचरों को फेंकने के लिए सब्जी बेचने वालों और बूचड़खानों को 10,000 रुपए की पर्यावरण क्षतिपूर्तिदेनी होगी।