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प्ले स्कूल के स्तर से ही लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ने की शुरुआत होनी चाहिए : एनसीईआरटी

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने बृहस्पतिवार को कहा कि लैंगिक रूढ़ियों को प्राथमिक-स्कूल के स्तर पर ही खत्म किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चे जब बड़े हों तो वे लिंग के आधार पर पक्षपात नहीं करें।

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने बृहस्पतिवार को कहा कि लैंगिक रूढ़ियों को प्राथमिक-स्कूल के स्तर पर ही खत्म किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चे जब बड़े हों तो वे लिंग के आधार पर पक्षपात नहीं करें। मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय की पाठ्यक्रम विकसित करने वाली संस्था ने प्राथमिक-स्कूल शिक्षा के लिये नये दिशा निर्देशों में ‘‘लैंगिक समानता’’ की सिफारिश की है। 
इसने स्कूलों को यह सुनिश्चित करने के लिये कहा है कि शिक्षक लड़कों एवं लड़कियों पर समान रूप से ध्यान दें, उन्हें सम्मान और समान अवसर दें तथा लैंगिक भेदभाव किये बगैर लड़के एवं लड़कियों दोनों से समान रूप से अपेक्षाएं रखें। एनसीईआरटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘स्कूलों को ऐसी किताबों, नाटकों और अन्य गतिविधियों का चयन करना चाहिए जो लैंगिक पक्षपात से रहित हों।’’ 
अधिकारी ने कहा, ‘‘शिक्षकों को ऐसी भाषा से बचना चाहिए जो किसी एक लिंग या अन्य तक सीमित हो। उन्हें तटस्थ भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए।’’ अधिकारी ने कहा, ‘‘शिक्षकों को ऐसी कहानियों, गीतों, गतिविधियों और सहज साधनों का उपयोग करना चाहिए जो लड़कियों एवं लड़कों के साथ विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को सभी पेशों में समान रूप से पुरूष एवं महिला के तौर पर चित्रित करते हों। 
महिलाओं एवं पुरूषों दोनों को नेता, नायक और समस्या का समाधान करने वाले के तौर पर पेश किया जाना चाहिए।’’ इसमें यह भी कहा गया है कि अभिभावक भी नियमित रूप से घर पर ऐसे अभ्यासों का समर्थन करें और बच्चों को इसके लिये संवेदनशील बनाएं। 

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