नईदिल्ली : दिल्ली केजरीवाल की पार्टी और सरकार दोनों ही चुनावी मोड में आ चुके हैं। केजरीवाल सरकार और पार्टी के नेता इस स्थिति में हैं कि दिल्ली में जब-चाहे-तब चुनाव आयोग तारीख डिक्लियर कर दे, पार्टी हर तरह से तैयार हो चुकी है। केजरीवाल की इन तैयारियों से दिल्ली कांग्रेस पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है लेकिन दिल्ली भाजपा तिलमिलाई हुई है।
भाजपा के नेता जनता को अपने काम बताने (निगम पर भाजपा का कब्जा है) की जगह केजरीवाल की घोषणाओं की खिलाफत करने के सिवाय कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इसी बीच आम आदमी पार्टी ने ‘दिल्ली में तो केजरीवाल’ कैंपेन शुरू कर दिया है। दिल्ली में जगह-जगह इस बात के बैनर लगाए जा रहे हैं जिसमें फिर से दिल्ली की कमान केजरीवाल के हाथों में देने का संदेश लिखा है। खास बात यह है कि केजरीवाल विधानसभा में जीत दर्ज करने के लिए तरकश के हर तीर का इस्तेमाल कर रहे हैं।
केजरीवाल की चुनावी रणनीति का भाजपा लगातार तोड़ ढूंढने में लगी है, एक घोषणा को काबू करती है इतने में केजरीवाल की कोई अन्य चुनावी रणनीति सामने आ जाती है। फिलहाल तो एक तरफ आम आदमी पार्टी एक रणनीति के तहत कांग्रेस और भाजपा के मजबूत नेताओं को अपने साथ लाने में जुटी हुई है। आम आदमी पार्टी के पास जिन सीटों पर विधायक या उम्मीदवार नहीं है या फिर पार्टी के सर्वे में जिन सीटों पर पार्टी के मौजूदा विधायकों के प्रति जनता में नाराजगी है उन सीटों के लिए आम आदमी पार्टी दूसरी पार्टी के मजबूत नेताओं को अपने साथ जोड़ रही है।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार बीते 5 महीने से लगातार ऐसे फैसले ले रही है या ऐलान कर रही है जिसको सीधा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है लेकिन उससे भी बड़ी बात यह है कि उसकी योजनाओं और फैसलों का विरोध भाजपा भी नहीं कर पा रही है। दूसरी तरफ केजरीवाल सरकार ने दिल्ली वालों को 200 यूनिट बिजली मुफ्त कर देने, किराएदारों का प्रीपेड मीटर, बकाया पानी बिल माफ, महिलाओं की मुफ्त यात्रा, तीर्थ यात्रा योजना जैसी घोषणा ने विपक्ष को घायल किया हुआ है।
कांग्रेस तो बिल्कुल इस और ध्यान नहीं दे रही है, क्योंकि शीला दीक्षित के निधन के बाद अभी तक अपना अध्यक्ष ही नहीं बना पाई है तो ऐसे में कांग्रेस पार्टी आप और भाजपा के सामने शायद ही कोई चुनौती पेश कर सके। भाजपा जरूर कुछ-कुछ करके आप पार्टी को चुनौती देने की कोशिश करती नजर आ रही है। जैसे केजरीवाल द्वारा प्रदूषण की काट के लिए ऑड-ईवन योजना को भाजपा नाटक बताने की भरपूर कोशिश कर रही है लेकिन दिल्ली के लोगो ने इस योजना के लिए खुद को पहले से ही तैयार कर लिया है।