नई दिल्ली : दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार मुश्किल में फंसती दिख रही है। चुनाव आयोग ने लाभ के पद के मामले में दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों को चुनाव आयोग ने अयोग्य घोषित कर दिया है। इस बाबत चुनाव आयेाग ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज दी है। आपको बता दें कि इन विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के बाद से ही इनकी सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा था। दरअसल, मुख्य चुनाव आयुक्त एके ज्योति 22 जनवरी को रिटायर होने जा रहे हैं। अपनी रिटायरमेंट से पहले वे सभी पेंडिंग केस को खत्म करना चाहते हैं, इसलिए आयोग जल्दी-जल्दी पुराने मामले निपटा रहे हैं। हालांकि, सत्ताधारी आम आदमी पूरे मामले में अपना बचाव कर रही है। पार्टी का कहना है कि चुनाव आयोग इसका फैसला नहीं कर सकता। इसका फैसला अदालत में होना चाहिए।
आप पार्टी की दिल्ली सरकार ने मार्च 2015 में 21 विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया था। इसे लाभ का पद बताते हुए प्रशांत पटेल नाम के वकील ने राष्ट्रपति के पास शिकायत की। पटेल ने इन विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी. हालांकि विधायक जनरैल सिंह के पिछले साल विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद इस मामले में फंसे विधायकों की संख्या 20 हो गई है।
केंद्र ने जताई थी आपत्ति
दूसरी तरफ, केंद्र सरकार ने विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के फैसले का विरोध करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में आपत्ति जताई। केंद्र सरकार ने कहा था कि दिल्ली में सिर्फ एक संसदीय सचिव हो सकता है, जो मुख्यमंत्री के पास होगा। इन विधायकों को यह पद देने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है।
संविधान के अनुच्छेद 102(1)(A) और 191(1)(A) के अनुसार संसद या फिर विधानसभा का कोई सदस्य अगर लाभ के किसी पद पर होता है तो उसकी सदस्यता रद्द हो सकती है। यह लाभ का पद केंद्र और राज्य किसी भी सरकार का हो सकता है।
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