राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराए जाने के कदम को आम आदमी पार्टी (आप) ने ”बेहद दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया। आप ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ऐसे संकट के समय में ”गंदी राजनीति” खेल रही है।
केंद्र ने शुक्रवार को कोविड-19 के बढ़ते मामलों के लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया कि “बार-बार कहने” के बावजूद उन्होंने जांच क्षमता, विशेष तौर पर आरटी-पीसीआर जांच, बढ़ाने के लिये कदम नहीं उठाए और काफी समय से प्रतिदिन 20,000 के करीब आरटी-पीसीआर जांच ही हो रहे हैं।
आप ने एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा उनके हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दिल्ली सरकार पर की गई टिप्पणियां बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं। बयान में कहा गया, ” ऐसा जान पड़ता है कि यह हलफनामा केंद्र सरकार के बजाय भाजपा के प्रवक्ता द्वारा तैयार किया गया है जबकि केंद्र सरकार को महामारी के इस काल में राज्यों के साथ समन्वय बनाकर कार्य करना चाहिए। यह हलफनामा तथ्यात्मक रूप से भी गलत है।”
आम आदमी पार्टी ने दावा किया कि 15 नवंबर को हुई एक बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 72 घंटों के भीतर 750 आईसीयू बिस्तर उपलब्ध कराने का वादा किया था लेकिन अब तक केवल 200 बिस्तर मुहैया कराए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर अपने हलफनामे में गृह मंत्रालय ने कहा, “ डेंगू की रोकथाम और नियंत्रण समेत दिल्ली सरकार की उपलब्धियों पर जहां नियमित विज्ञापन थे, वहीं कोविड-19 अनुकूल व्यवहार पर कोई विज्ञापन नहीं देखा गया। व्यापक रूप से लोगों को भी नियमित संपर्क उपायों के जरिये इसकी जानकारी नहीं थी।”
उन्होंने कहा, “कोविड-19 के बढ़ते मामलों के संदर्भ में बार-बार कहे जाने के बावजूद दिल्ली सरकार ने जांच क्षमता बढ़ाने के लिए कदम नहीं उठाए, खास तौर पर आरटी-पीसीआर के लिए, जो करीब 20,000 जांच के स्तर पर काफी समय से स्थिर थी।”न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर एस रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह ने केंद्र सरकार के हलफनामे को संज्ञान में लिया और कहा, “चीजें बद् से बद्तर होती जा रही हैं लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा।”