नई दिल्ली : केन्द्रीय मंत्री एवं पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल ने दिल्ली सरकार द्वारा शिक्षा के नाम पर किए गए तमाम खोखले दावों की पोल खोलने के लिए शुक्रवार को एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया। पोल खोलने के लिए वे ‘हैशटैग केजरीवाल ब्लफ्स’ अभियान चलाएंगे। इस मौके पर सांसद रमेश बिधूड़ी और प्रवेश वर्मा भी मौजूद रहे। विजय गोयल ने कहा कि चार साल बाद अरविंद केजरीवाल लोकसभा चुनावों में अपनी दिल्ली सरकार के कार्यों का बढ़-चढ़कर बखान कर रहे हैं, लेकिन जनता के सामने उनकी असलीयत आनी चाहिए। इसके लिए वे दिल्ली के स्कूलों में रिएल्टी चैक करने जाएंगे।
उन्होंने कहा कि पिछले चार साल में एक जानकारी के अनुसार पांच लाख बच्चे सरकारी स्कूलों में फेल हुए हो चुके हैं। इनमें से चार लाख बच्चों को दोबारा दाखिला नहीं दिया गया, ऐसे में इन बच्चों का भविष्य न जाने क्या होगा। गोयल ने कहा कि वे ऐसे बच्चों के अभिभावकों का एक सम्मेलन आगामी 16 अप्रैल को करेंगे। इन बच्चों के गरीब माता-पिता को भी यह पता चलना चाहिए कि केजरीवाल सरकार किस तरह से उन्हें धोखा दे रही है। इसके अलावा 27 हजार शिक्षकों के पद स्कूलों में खाली पड़े हुए हैं और 800 स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं हैं।
गोयल ने आगे कहा कि आप सरकार द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि आठ हजार कमरे हमने बना दिए, जो कि सरासर झूठ है। इनमें बिना नक्शे के खेल के मैदान में बना दिए गए। सरकारी स्कूलों की क्लास में 80 से 100 बच्चे पढ़ते हैं। वहीं सांसद रमेश बिधूड़ी ने कहा कि शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में दिल्ली की जनता को ठगा गया है। दक्षिणी दिल्ली संसदीय क्षेत्र में सरकारी पद का दुरुपयोग कर उपमुख्यमंत्री दिल्ली के अभिभावकों को पत्र लिखकर कह रहे हैं कि भाजपा को वोट न दें।
केजरीवाल सरकार ने नौवीं कक्षा में 33 प्रतिशत बच्चों को जानबूझकर फेल कर दिया। उन्होंने कहा कि दक्षिणी दिल्ली के मोलड़बंद, देवली, संगम विहार और तेहखण्ड के सरकारी स्कूलों में एक-एक सेक्शन में 48 बच्चों से अधिक छात्र पढ़ने को मजबूर हैं, जो कि कानून का उल्लघंन है। सांसद प्रवेश वर्मा ने कहा कि शिक्षा के नाम पर आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली की जनता के साथ धोखा किया है।
हम अपनी बातों को तथ्यों के आधार पर कर रहे हैं। नये स्कूल तो बने नहीं उनके स्थान पर खानापूर्ति के लिए पुराने स्कलों में कमरे बना दिए गए, जो कि एक बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हैं। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में दाखिले में आठ फीसद की गिरावट आई है।