नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने केजरीवाल द्वारा निजी स्वार्थ के लिए मेट्रो मैन ई. श्रीधरन और दिल्ली मेट्रो को अपनी गंदी राजनीति का हिस्सा बनाने पर कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल इतने गैर जिम्मेदार और निम्न स्तरीय हैं कि उन्होंने मेट्रो मैन श्रीधरन को 14 जून, 2019 का पत्र नहीं भिजवाया और उस पत्र को जोर-शोर से मीडिया में प्रचारित किया गया।
गुप्ता ने कहा कि वे केजरीवाल से पूछना चाहते हैं कि उनका पत्र श्रीधरन को क्यों नहीं भेजा गया, क्या उनकी नीयत में खोट है? श्रीधरन ने उपमुख्यमंत्री को अपने जवाब में बताया है कि उन्हें 14 जून वाला पत्र अभी तक नहीं मिला है। मनीष सिसोदिया ने झूठ बोला कि उन्होंने मेट्रो मैन को पत्र भेजा है। उन्होंने यह झूठ इसलिए बोला कि उनके पास दिल्ली मेट्रो से संबधित श्रीधरन द्वारा उठाए गए मुद्दों का कोई जवाब नहीं है।
गुप्ता ने कहा कि एक तरफ केजरीवाल न केवल दिल्ली मेट्रो के विस्तार और दिल्ली रैपिड रेल ट्रांसपोर्ट में कोई रुचि नहीं रखते, लेकिन इनकी राह में हर तरह के अड़ंगे लगाते हैं। एक तरफ दिल्ली सरकार कहती है कि उनके पास रैपिड रेल ट्रांसपोर्ट सिस्टम के लिए 250 करोड़ रुपए उपलब्ध नहीं है और दूसरी तरफ आगामी चुनावों में महिलाओं के वोट बटोरने के लिए बिना किसी मांग के चुनावी नौटंकी के लिए 1500-2000 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष सरकारी खजाना लुटाने को तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल बिना किसी मांग के महिलाओं को दिल्ली की बसों और दिल्ली मेट्रो में मुफ्त यात्रा करवाने की बात कर रहे हैं तो छात्रों, वृद्धों, दिव्यांगों एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का क्या होगा? उन्होंने केजरीवाल सरकार से पूछा यदि समाज के इन वर्गों से मुफ्त यात्रा की मांग जोर पकड़ती है तो क्या उनके साथ न्याय होगा जो वास्तव में इस सुविधा के ज्यादा हकदार हैं।
ई. श्रीधरन पर आरोप लगाना दुर्भाग्यपूर्ण : तिवारी
आम आदमी पार्टी के मेट्रो मैन ई. श्रीधरन को भाजपा का प्रवक्ता बताने पर सांसद मनोज तिवारी ने कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए श्रीधरन के पत्र पर आप द्वारा लगाये गये आरोप, अत्यंन्त दुर्भाग्यपूर्ण हैं और इसकी जितनी भी निंदा की जाए वह कम है।
श्रीधरन के पत्र से स्पष्ट हो गया है कि आप की चुनावी मेट्रो रेल चलने से पहले ही डीरेल हो गई है। केजरीवाल सरकार को ई श्रीधरन के पत्र पर गम्भीरता दिखाते हुए उसमें दिए गए सुझावों पर व्यापक चर्चा करनी चाहिए थी। उन्होंने इसके बजाय फिर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति शुरू कर दी है।