नई दिल्ली : कांग्रेस ने दिल्ली में विधानसभा चुनाव को देखते हुए एक सर्वे कराया है, जिसमें कांग्रेस को एक दर्जन के करीब सीटें मिलने का दावा किया गया है। दूसरी तरफ सट्टा बाजार भी कांग्रेस का दिल्ली में खाता खुलने का दावा कर रहा है, सट्टा बाजार 4-5 सीटें दे रहा है। कांग्रेस को अपने सर्वे में दिल्ली विधानसभा सीटों की संख्या 10-12 यानी डबल डिजिट में पहुंच रही है। सर्वे में इतनी सीटें देख कांग्रेसी भले ही बहुत खुश नहीं है लेकिन संतुष्ट जरूर दिख रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इस सर्वे को देखते हुए कांग्रेसी दावा करने लगे हैं कि अगर ऐसा हो जाता है तो दिल्ली की सत्ता की चाबी उनके हाथ में होगी।
क्योंकि आप और भाजपा दोनों ही अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, ऐसे में कांग्रेस की ओर से यह कहा जाना कि दस सीटें आने पर उनके हाथ में सत्ता की चाबी होगी, इसका साफ संकेत गठबंधन की ओर जाता है। पिछले दिनों यह बात भी उठी थी कि क्या कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के साथ विधानसभा चुनावों में गठबंधन करेगी? कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा की ओर से बयान आया था कि कांग्रेस किसी भी कीमत पर आप पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी, लेकिन सर्वे के बाद जिस तरह कहा जा रहा है कि सत्ता की चाबी कांग्रेस के पास होगी, उसको देखते हुए गठबंधन की चर्चा शुरू हो गई है।
कांग्रेस दावा कर रही है कि दिल्ली में हालात ऐसे हो गए हैं, जिसमें कांग्रेस को सीटें जरूर मिलेंगी। सीएए व एनआरसी के मुद्दे को कांग्रेस ने जिस तरह से हवा दी है, उससे कांग्रेस को लगने लगा है कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित है। फिलहाल यह देखने वाली बात है कि मुस्लिम बाहुल्य कितनी विधानसभा सीटें दिल्ली में हैं।
25 सीटों पर होंगे नए चेहरे…
प्रदेश कांग्रेस से खबर आई है कि इस बार दिल्ली की 70 सीटों में से कम से कम 25 सीटों पर नए चेहरों को मौका मिलने वाला है। दावा किया जा रहा है कि दिल्ली के कुछ पूर्व विधायकों के साथ-साथ कांग्रेस ऐसे प्रत्याशियों को भी टिकट देगी, जो पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।
प्रदेश कांग्रेस में प्रत्याशियों के चयन को लेकर माथापच्ची चल रही है। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस से टिकट मांगने वालों की कोई कमी नहीं है? इसके लिए जल्द ही स्क्रीनिंग कमेटी के साथ बैठक भी होनी है।
सीएम उम्मीदवार पर कांग्रेस में चुप्पी…
मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम पर कांग्रेस चुप है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस बिना मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरेगी। इसके पीछे कहा जा रहा है कि कांग्रेस पहले विधानसभा में जीरो सीटों के टैग से मुक्त होना चाहती है।
दिल्ली में प्रदेश कांग्रेस में पिछले एक महीने के भीतर ऊर्जा का संचार हुआ है। कांग्रेस हर मुद्दे पर भाजपा और आप पार्टी को घेरने में लगी है। दूसरी तरफ रणनीति तैयार करने के लिए वार रूम का निर्माण हो गया है।