कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला ने शुक्रवार को दावा किया कि दिल्लीवासियों ने आम आदमी पार्टी को इसलिये फिर सत्ता में लाया क्योंकि वे भाजपा की चुनावी जीत के बारे में सोचने मात्र से भयभीत थे। कांग्रेस नेता ने कहा, दिल्ली विधानसभा चुनावों में इस बार मतदाता हर कीमत पर भाजपा को हराना चाहते थे।
दिल्लीवासियों को डर था कि अगर उनके वोट बंटे, तो सांप्रदायिक मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा कहीं जीत न जाये। इसलिये मतदाताओं ने एकजुट होकर आम आदमी पार्टी के पक्ष में मतदान किया जो भाजपा के मुकाबले ज्यादा मजबूती से चुनाव लड़ रही थी। दिल्ली विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लगातार दूसरी बार खाता तक न खोल पाने पर उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस पराजय से निश्चित तौर पर दु:खी है और राज्य में अपने संगठन की कमजोरियां दूर करेगी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि दिल्ली विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान भाजपा नेताओं को 'गोली मारो' और 'भारत-पाकिस्तान मैच' जैसे घृणा भरे भाषण नहीं देने चाहिये थे और संभव है कि इस तरह की टिप्पणियों से उनकी पार्टी की चुनावी हार हुई। उनकी इस टिप्पणी के संदर्भ में कांग्रेस नेता ने कहा, "शाह की इस बात का लोग तभी यकीन करेंगे, जब उनकी पार्टी घृणा भरे चुनावी भाषण देने वाले अपने नेताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी।"
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राजीव शुक्ला ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस के 'गुप्त गठबंधन' के कयासों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा, 'ऐसा कोई गुप्त गठबंधन क्यों होगा? हम हर जगह पूरी मजबूती से चुनाव लड़ते हैं। हम पंजाब में आम आदमी पार्टी को पिछला विधानसभा चुनाव हरा चुके हैं।' उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को जब बोलने के लिये कुछ नहीं मिलता, तो वह नेहरू के लिये बुरे शब्दों का इस्तेमाल करने लगती है।
शुक्ला ने आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग को नौकरियों तथा शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण देने की मौजूदा व्यवस्था को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार की नीयत स्पष्ट नहीं है और भाजपा इन वंचित तबकों से आरक्षण छीनना चाहती है।