कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चुनावों के समय ही राममंदिर, तीर्थस्थलों के पुनरूद्धार और गंगा यमुना की सफाई का काम याद आता है और इसके बाद इन कार्यों को फिर भुला दिया जाता है।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के वरिष्ठ प्रवक्ता नरेश कुमार ने आज जारी एक बयान में पूर्वांचलवासियों को छठ पर्व की शुभकामनाएं दी और इस बात पर भी दुख व्यक्त किया कि केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार की गलत नीतियों के कारण ही यमुना नदी की सफाई का काम पूरा नहीं हुआ है और अनेक स्थानों पर यमुना का पानी इतना गंदा है कि लोगों को नाक बंद रखकर निकलना पड़ता है।
यमुना की साफ सफाई का जिम्मा किसका है दोनों सरकारें इसकी सफाई का जिम्मा एक दूसरे पर मंढते रहते हैं। इस समय यमुना में अमोनिया की मात्रा 3 पीपीएम है जो नदी के पानी को जहरीला बना रही है। उन्होंने कहा कि 2015 में जब आम आदमी पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया गया तो उसमें कुल 76 कार्य योजनाओं की बात कही गई थी और यमुना की सफाई का विषय 15 वें स्थान पर था।
एनजीटी ने 2017 में दिल्ली सरकार को यमुना की साफ सफाई का आदेश दिया था लेकिन इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 2020-21 के बजट में कहा था हम यमुना नदी के पानी को साफ कर इसे लंदन की टेम्स नदी से भी बेहतर बनाएंगे।
उन्होंने मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा ‘‘ यमुना की सफाई तो बहुत दूर की बात है यमुना आज इतनी गंदी हो चुकी है कि लोगों को नाक मुंह को ढक कर निकलना पड़ता है और यह एक गंदे नाले का रूप लेती जा रही है। वजीराबाद के रामघाट और कालीघाट पर गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। आपने बजट पेश करते हुए कहा था कि यमुना की सफाई के लिए 2076 करोड़ रुपए का बजट है लेकिन आप इसकी सफाई के लिए दो करोड़ ही खर्च कर दीजिए।
चुनाव आते ही ऐसे धार्मिक मुद्दे याद आने लगते हैं और ये केंद्र तथा राज्य सरकार के आम एजेंडे हैं। लेकिन चुनाव बाद भी इन्हें याद रखना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि जब दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित थी तो राजधानी का बजट 37450 करोड़ रूपए था लेकिन अब दिल्ली सरकार का बजट 69000 करोड़ बजट है लेकिन इसके बाद भी यमुना मैली ही रह गई है। कुमार ने कहा कि दिल्ली का विकास नहीं हुआ है बल्कि आम आदमी पार्टी और केजरीवाल तथा उनके मंत्रियों का विकास ही हुआ है।