देश की सबसे बड़ी अदालत (सुप्रीम कोर्ट) ने विश्व में कोरोना महामारी को रोकने में कथित रूप से विफल रहने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अधिकारियों की जवाबदेही निर्धारित करने के लिये दायर याचिका पर बृहस्पतिवार को विचार करने से इंकार कर दिया।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि यह याचिका विचार योग्य नहीं है। इस याचिका में यह भी कहा गया था कि इस महामारी की वजह से भारत को हुये नुकसान की भरपाई के लिये चीन को उचित मुआवजा देना चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘हमें चीन की सरकार को समन भेजने का अधिकार नहीं है।’’ पीठ ने सवाल किया, ‘‘यह न्यायालय कैसे कह सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और चीन को क्या करना चाहिए? यह न्यायालय सरकार नहीं है।’’ पीठ ने याचिकाकर्ता रमण कक्कड़ से कहा कि उनकी याचिका विचार योग्य नहीं है।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता डॉक्टर है और उसे अपने क्षेत्र का अनुभव है लेकिन वह वकील नहीं है और यह याचिका में किये गये उनके अनुरोध से झलक रहा है। याचिका में कहा गया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के ऐसे अधिकारियों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए, जो टाले जा सकने वाले नरसंहार के लिये कथित रूप से दोषी पाये गये हैं।
याचिका में दावा किया गया कि विश्व स्वास्य संगठन ने कोविड-19 को वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थिति घोषित करने में एक महीने का विलंब किया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि इस संस्था ने मानवता के साथ विश्वासघात किया है।