दिल्ली की एक अदालत ने पुरानी दिल्ली के दरिया गंज इलाके में हिंसा के आरोप में गिरफ्तार 15 लोगों की जमानत अर्जियों को सोमवार को खारिज कर दिया और उनकी न्यायिक हिरासत दो हफ्ते के लिए बढ़ा दी। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कपिल कुमार ने अर्जियों को खारिज करते हुए कहा कि आरोपियों को राहत देने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है।
आरोपियों की दो दिन की न्यायिक हिरासत की अवधि समाप्त होने से पहले उन्हें अदालत में पेश किया गया था जिसके बाद अदालत ने आदेश पारित किया। अदालत ने पूछा कि आरोपियों को किस आधार पर गिरफ्तार किया गया है तो पुलिस ने बताया कि उन्होंने पथराव किया था और घायलों में एक पुलिस उपायुक्त भी शामिल हैं।
आरोपियों को जमानत देने का अनुरोध करते हुए वरिष्ठ वकील रिबैका जॉन ने कहा कि पुलिस के पास आरोपियों के खिलाफ सीसीटीवी फुटेज या अन्य सबूत नहीं है, इसलिए उन्हें जेल में नहीं रखा जाना चाहिए। जॉन ने कहा, ‘‘ भारतीय दंड संहिता की धारा 436 (घर आदि को नष्ट करने की मंशा से आग लगाना या विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा) लागू नहीं होती है। क्या उनके पास आरोपियों के खिलाफ कोई साक्ष्य, सीसीटीवी फुटेज है?’’
अदालत ने शनिवार को आरोपियों को सोमवार तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। गिरफ्तार किए गए एक व्यक्ति ने दावा किया है कि वह नाबालिग है लेकिन पुलिस का कहना है कि उसने अपनी उम्र 23 साल बताई है। शुक्रवार को दरिया गंज में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बलपूर्वक हटाने की कोशिश की तो हिंसा भड़क गई थी और एक समूह ने पथराव कर दिया था। इस हंगामे में एक कार को फूंक दिया गया था और कई अन्य को क्षतिग्रस्त किया गया था।