नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली की सड़कों पर दुर्घटना में घायल हुए लोगों के इलाज के लिए दिल्ली सरकार द्वारा शुरू की गई ‘फरिश्ते दिल्ली के’ योजना के तहत घायलों के इलाज से इनकार करना एक प्राइवेट अस्पताल को महंगा पड़ने वाला है। सरकार ने इस योजना के तहत एक घायल का इलाज करने से मना करने पर अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी कर एक महीने में जवाब मांगा है। दोषी पाए जाने पर अस्पताल का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
सरकार ने नजफगढ़ निवासी पुरुषोत्तम शर्मा की शिकायत पर अस्पताल के खिलाफ यह कदम उठाया है। नोटिस में शिकायत के आधार पर प्रथमदृष्टया इस मामले को सरकार के नियमों एवं कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन माना है और नोटिस में यह भी बताया है कि गतदिनों सरकार द्वारा सभी अस्पतालों और नर्सिंग होम के प्रमुखों के साथ एक बैठक कर उक्त योजना के बारे में जानकारी दे दी गई थी।
इस दौरान सभी अस्पतालों ने योजना का अनुपालन करने पर सहमति जताई थी। इस बारे में पुरुषोत्तम शर्मा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 14 अक्टूबर को एक लिखित शिकायत दी थी। जिसमें कहा गया था कि गत 9 अक्टूबर को मेरे भतीजे देवेश शर्मा का रात 11:30 एक्सीडेंट हो गया था। जिसकी सूचना तुरंत पुलिस को दी गई और हमारे एक पड़ोसी की मदद से उसे पास के विकास हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। यहां अस्पताल के डॉक्टरों को ‘फरिश्ते दिल्ली के’ स्कीम के बारे में बताया गया।
तो उन्होंने स्लिप बनाकर एडमिट कर लिया गया लेकिन फिर अपने अस्पताल में उचित उपकरण न होने का बहाना बनाकर घायल को बड़े अस्पताल में जाने को कहा। इसके बाद घायल को द्वारका सेक्टर-18 स्थित वेंकटेश्वर अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल ने घायल को भर्ती तो कर लिया लेकिन दिल्ली सरकार की योजना को मानने से इंकार कर दिया। मौजूद डॉक्टरों ने कहा कि आप छोटे अस्पताल से इलाज कराकर आए हैं इसीलिए हम घायल का इलाज दिल्ली सरकार की नीति के तहत मुफ्त नहीं कर सकते।
शिकायत में आगे पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि घायल की हालत बिगड़ने पर मैंने अपने दोस्त से 50 हजार रुपए उधार लेकर उसका इलाज शुरू कराया। सुबह होने पर हमने अस्पताल के नोडल ऑफिसर से संपर्क किया तो उनसे भी कोई उचित मदद नहीं मिल सकी। इसके बाद हमनें दो लाख रुपए और उधार लिए और घायल का इलाज कराया। पत्र में पुरुषोत्तम शर्मा ने सीएम केजरीवाल से उक्त दोनों अस्पतालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और अस्पतालों को भुगतान किए गए पैसे वापस दिलाने की गुजारिश की है।