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Jeans Dyeing इकाइयों के पर्यावरण पर प्रभाव का अध्ययन करेगी दिल्ली सरकार

दिल्ली सरकार कपड़ों की रंगाई या धुलाई और ‘इलेक्ट्रोप्लेटिंग’ और ‘फॉस्फेटिंग’ जैसी गतिविधियों में संलग्न इकाइयों के पर्यावरणीय प्रभाव का अध्ययन करेगी।

दिल्ली सरकार कपड़ों की रंगाई या धुलाई और ‘इलेक्ट्रोप्लेटिंग’ और ‘फॉस्फेटिंग’ जैसी गतिविधियों में संलग्न इकाइयों के पर्यावरणीय प्रभाव का अध्ययन करेगी। अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली में गैर-अनुपालन और आवासीय क्षेत्रों में कार्यशील ऐसी लघु इकाइयों से निकलने वाला कचरा सीधे यमुना में प्रवाहित होता है, जिससे इसका प्रदूषण बढ़ जाता है।
शैक्षणिक संस्थानों से 28 फरवरी तक मांगे प्रस्ताव 
इनमें से अधिकांश इकाइयां बिना अनुमति और अपशिष्ट उपचार संयंत्रों के संचालित होती हैं। उनके अपशिष्टों में अमोनिया और फॉस्फेट की उच्च सांद्रता होती है, जो नदी के पानी पर बनने वाले झाग के प्राथमिक कारणों में से एक है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) ने इस संबंध में शैक्षणिक संस्थानों से 28 फरवरी तक प्रस्ताव मांगे हैं। डीपीसीसी की वेबसाइट पर एक नोटिस के मुताबिक, अध्ययन से पता चलेगा कि इन इकाइयों द्वारा कितने पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है और उनके क्षेत्रों में उपचार संयंत्रों और जल निकायों की कितनी क्षमता है।
पर्यावरण अध्ययन करने का फैसला 
जीन्स और अन्य कपड़ों की रंगाई या धुलाई या धातु की सतह के उपचार – इलेक्ट्रोप्लेटिंग, फॉस्फेटिंग और एनोडाइजिंग आदि जैसी गतिविधियों में पानी की भारी खपत होती है और इससे काफी प्रदूषण होने की आशंका होती है। नोटिस में लिखा गया है, डीपीसीसी ने प्रदूषण की क्षमता और इसकी उपचार सुविधाओं, पर्यावरण पर प्रभाव और उपचारात्मक उपायों को जानने के लिए एक पर्यावरण अध्ययन करने का फैसला किया है।

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