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दिल्ली: HC का जेल अधिकारियों को निर्देश, PFI के पूर्व प्रमुख अबूबकर को प्रभावी इलाज कराया जाए उपलब्ध

दिल्ली उच्च न्यायालय ने पॉपलुर फ्रंट ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष ई अबूबकर का “प्रभावी” इलाज सुनिश्चित करने का बृहस्पतिवार को तिहाड़ के चिकित्सा अधीक्षक को निर्देश दिया।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने पॉपलुर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पूर्व अध्यक्ष ई अबूबकर का “प्रभावी” इलाज सुनिश्चित करने का बृहस्पतिवार को तिहाड़ के चिकित्सा अधीक्षक को निर्देश दिया। वह गैर कानूनी रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत जेल में बंद है। चिकित्सा आधार पर ज़मानत की मांग वाली अबूबकर की अपील पर सुनवाई करते हुए अदालत ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को नोटिस जारी किया। अपील में उसने कुछ दस्तावेज़ों को रिकॉर्ड पर रखने का आग्रह किया है। अदालत ने एनआईए से आवेदन में कही गई बातों पर अपना जवाब दायर करने को कहा और मामले की आगे की सुनवाई 13 मार्च को सूचीबद्ध कर दी। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने कहा, इस बीच, तिहाड़ जेल के चिकित्सा अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि अपीलकर्ता को नियमित रूप से उसकी सभी बीमारियों के लिए प्रभावी उपचार प्रदान किया जाए। 
अबूबकर को निचली अदालत ने चिकित्सा आधार पर ज़मानत देने से इनकार कर दिया था। उसने इस आदेश को चुनौती दी है। एनआईए ने पिछले साल पीएफआई पर व्यापक कार्रवाई के दौरान अबूबकर को गिरफ्तार किया था और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। बाद में सरकार ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया था।अबूबकर की ओर से पेश अधिवक्ता अदित पुजारी ने एक हलफनामा दायर किया जिसमें उसकी हाल की स्थिति और जेल में चिकित्सा स्थिति का विवरण है जो ‘ऑनलाइन माध्यम से हुई मुलाकात’ के आधार पर तैयार किया गया है। पुजारी ने कहा, “ उनके पास एक सेवादार है जिससे वह बात तक नहीं कर सकते क्योंकि वह सिर्फ मलयालम और अंग्रेजी बोलते हैं। यह उनके खिलाफ पहला और इकलौता मामला है। वह स्कूल शिक्षक रहे हैं। वह 71 साल के हैं और पहली बार जेल में हैं।” 
हालांकि एनआईए के वकील ने एक वीडियो दिखाया जिसमें अबूबकर हजारों लोगों को हिंदी में संबोधित कर रहा है। केंद्रीय एजेंसी ने पहले अदालत को बताया था कि अबूबकर अपनी चिकित्सा स्थिति को लेकर एक साथ निचली अदालत और उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर कर जांच की प्रक्रिया को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहा है। उसने यह भी कहा था कि अबबूकर के खिलाफ जांच लंबित है और उसका अच्छे से इलाज किया जा रहा है। उच्च न्यायालय ने पहले कहा था कि अबूबकर के खिलाफ मामला यूएपीए का है जो मामूली अपराध से संबंधित नहीं है। अदालत को पहले सूचित किया गया था कि अबूबकर को कैंसर है, वह पार्किंसन रोग से पीड़ित है और काफी दर्द में है। लिहाज़ा तत्काल इलाज की जरूरत है।

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