दिल्ली हाई कोर्ट ने फोर्टिस के पूर्व प्रमोटर मालविंदर मोहन सिंह की दलील को खारिज कर दिया जिसमें विचाराधीन कैदियों को अंतरिम जमानत देने के मानदंडों को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) ने यह निर्णय सुनाया।
हाई कोर्ट ने मालविंदर मोहन सिंह की अंतरिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया था जिसके बाद उन्होंने अपना पक्ष रखा। कोर्ट ने उन्हें स्वतंत्रता दी थी कि यदि वह कोर्ट के मानदंडों से संतुष्ट नहीं हैं तो समिति के समक्ष जा सकते हैं। मालविंदर मोहन सिंह को रेलीगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) के धन के कथित गबन के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
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उनके खिलाफ धोखाधड़ी और धनशोधन के अपराधों के लिए भी प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए खचाखच भरी जेलों का निरीक्षण करने के लिए ऐसी समितियों के गठन का आदेश दिया था तो उसने समितियों को यह तय करने का पूर्ण विवेकाधिकार प्रदान किया कि किस श्रेणी के कैदी को अंतरिम जमानत या पैरोल पर छोड़ा जा सकता है।
समिति ने कहा, ‘‘इसके मद्देनजर समिति की राय है कि यह तर्क अनुपयुक्त है और इसलिए इसे खारिज किया जाता है।’’ एचपीसी ने कहा कि मालविंदर को संबंधित अदालतों के समक्ष जमानत अर्जी दाखिल करने की आजादी है और कोर्ट इस पर कानून के अनुसार विचार करेंगी।