दिल्ली हाई कोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा के सीसीटीवी फुटेज संरक्षित करने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर केंद्र, पुलिस और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा। बता दें कि दिल्ली में हुई साम्प्रदायिक हिंसा में 52 लोगों की मौत हो गई थी।हिंसा में भारी संख्या में उपद्रवियों द्वारा तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया गया था।
हाई कोर्ट ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से दायर एक याचिका पर केंद्र, दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर हिंसा के लिए उपलब्ध वीडियो फुटेज के संरक्षण की मांग की है। याचिका में पुलिस कर्मियों की कथित निष्क्रियता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की गई है।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने अधिकारियों को सोमवार को नोटिस जारी किया और मामले में अगली सुनवाई 27 मार्च के लिये निधारित कर दी। यह याचिका जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दायर की है। याचिका में अनुरोध किया गया कि दिल्ली पुलिस को दंगा प्रभावित इलाकों के 23 फरवरी से लेकर एक मार्च तक के सीसीटीवी फुटेज संरक्षित रखने के निर्देश दिए जाएं।
साथ ही इसमें मौके से साक्ष्य जुटाए बिना मलबा साफ नहीं करने का भी निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिका में हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और एसआईटी के गठन का अनुरोध किया गया है जिसमें उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को शामिल किया जाए।
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बता दें उत्तरपूर्वी दिल्ली जिले में बीते माह नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर हुई हिंसा में दिल्ली पुलिस एसआईटी ने अब तक 3400 से ज्यादा लोग हिरासत में लिए हैं, जबकि 55 लोगों को शस्त्र अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है। दिल्ली पुलिस के मुताबिक हिंसा में मरने वालों की संख्या 52 है।