दिल्ली HC ने दहेज हत्या के मामले में FIR रद्द करने से किया इनकार - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

दिल्ली HC ने दहेज हत्या के मामले में FIR रद्द करने से किया इनकार

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति और उसकी मृत पत्नी के परिवार के बीच एक समझौते के आधार पर दहेज हत्या की प्राथमिकी रद्द करने से इनकार करते हुए कहा है कि यह एक गंभीर और जघन्य अपराध है जो एक सामाजिक बुराई से प्रेरित है

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति और उसकी मृत पत्नी के परिवार के बीच एक समझौते के आधार पर दहेज हत्या की प्राथमिकी रद्द करने से इनकार करते हुए कहा है कि यह एक गंभीर और जघन्य अपराध है जो एक सामाजिक बुराई से प्रेरित है और इसे रोकने की जरूरत है। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की एकल पीठ ने प्राथमिकी रद्द करने के लिए व्यक्ति और आरोपी परिवार के अन्य सदस्यों की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि दहेज हत्या का अपराध समाज के खिलाफ अपराध है। पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी फैसला सुनाया है कि किसी समझौते के आधार पर गंभीर मामलों को बंद नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने हालिया आदेश में कहा, ‘‘वर्तमान मामले में एक महिला ने पति और उसके परिवार के सदस्यों द्वारा किए गए उत्पीड़न के कारण शादी के पांच महीने के भीतर आत्महत्या कर ली और भारतीय दंड संहिता की धारा 304-बी (दहेज हत्या) के तहत दंडनीय अपराध न केवल एक गंभीर और जघन्य अपराध है बल्कि दहेज की मांग सामाजिक बुराई से प्रेरित समाज के खिलाफ अपराध है। इस प्रकार के अपराध को रोकने की आवश्यकता है। इसलिए, आरोपी और शिकायतकर्ता के बीच हुए समझौते के आधार पर इसे रद्द नहीं किया जा सकता है।’’
मौजूदा मामले में महिला के परिवार ने आरोप लगाया कि मार्च 2021 में शादी के बाद से याचिकाकर्ता उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करने लगे। इसके बाद अगस्त में परिवार को फोन आया कि उनकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। जांच लंबित रहने के दौरान, याचिकाकर्ताओं और महिला के परिवार ने एक समझौता किया, जिसमें कहा गया था कि वे बिना किसी जबरदस्ती और बिना किसी पैसे के हस्तांतरण के एक समझौता कर चुके हैं। समझौते में महिला के परिवार ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ उनका कोई दावा और शिकायत नहीं है और याचिकाकर्ताओं को जमानत पर रिहा करने के लिए ईमानदारी से प्रयास करते हुए याचिका खारिज कराने में सहयोग करेंगे।
याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय में दलील दी थी कि समझौते के मद्देनजर, प्राथमिकी जारी रखने और उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही में कोई सार्थक उद्देश्य पूरा नहीं होगा। अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि वह पहले ही कुछ याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर चुका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

7 − one =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।