दिल्ली हाई कोर्ट ने उत्तर पूर्व दिल्ली में फरवरी में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में बुधवार को महिला संगठन ‘पिंजरा तोड़’ की एक सदस्य की जमानत अर्जी पर पुलिस से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। निचली अदालत ने जेएनयू छात्रा देवांगना कलीता की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 14 अगस्त की तारीख तय की।
कलीता और समूह की एक अन्य सदस्य नताशा नरवाल को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने मामले में मई में गिरफ्तार किया था और उन पर दंगा फैलाने, गैरकानूनी तरीके से जमा होने तथा हत्या के प्रयास समेत आईपीसी की अनेक धाराओं में मामले दर्ज किये।
उन पर दंगों में कथित रूप से पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा होने पर सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े एक अन्य मामले में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया है। कलीता के खिलाफ कुल चार मामले दर्ज किये गये हैं और उन्हें दो मामलों में जमानत मिल गयी है।