जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA ) के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट अगस्त में सुनवाई करेगा। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने धन शोधन मामले में पूर्व मुख्यमंत्री को तलब किया है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अनुरोध किया कि याचिका पर किसी और दिन सुनवाई की जाए क्योंकि वह एक मामले की आंशिक सुनवाई में व्यस्त है। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने इसे 13 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
मुफ्ती की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने दलील दी कि ईडी ने कोर्ट के पूर्व निर्देश के अनुसार धन शोधन मामले के तथ्यों पर प्रस्तुत करने के लिए अभी तक एक संक्षिप्त नोट दाखिल नहीं किया है। उन्होंने अनुरोध किया कि कोर्ट ईडी को नोट दाखिल करने के लिए कहे।
इस पर, पीठ ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल सुनवाई में मौजूद थे और वह कोर्ट के आदेश से अच्छी तरह वाकिफ थे और वह जरूरी कदम उठाएंगे। इस पर मेहता ने सिर हिलाया और कहा कि इसे दाखिल किया जाएगा। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मुफ्ती की वकील से पूछा कि 22 मार्च को क्या हुआ जब ईडी ने उन्हें पेश होने के लिए बुलाया था।
उनकी वकील ने कहा कि मुफ्ती उस दिन ईडी के सामने पेश हुई थी क्योंकि कोर्ट ने उन्हें कोई अंतरिम सुरक्षा नहीं दी थी। मुफ्ती ने मार्च में दाखिल अपनी याचिका में धन शोधन मामले में ईडी द्वारा उन्हें समन जारी करने को भी चुनौती दी थी। उन्होंने समन पर रोक लगाने का अनुरोध किया है।
हालांकि, कोर्ट ने इस स्तर पर राहत देने से इनकार कर दिया था। मुफ्ती (61) को पिछले साल जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद एक साल से अधिक समय तक हिरासत में रखने के बाद रिहा किया गया था। उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में ईडी मुख्यालय में पेश होने के लिए नोटिस दिया गया था।
शुरुआत में ईडी ने मुफ्ती को 15 मार्च के लिए तलब किया था, लेकिन उस समय उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर पेश होने पर जोर नहीं दिया। इसके बाद उन्हें 22 मार्च को तलब किया गया था। मुफ्ती ने धन शोधन मामले में ईडी द्वारा उन्हें जारी समन को रद्द करने का भी अनुरोध किया है।