दिल्ली उच्च न्यायालय सोमवार को वकीलों की संस्था डीएचसीबीए के आग्रह पर सहमत हो गया कि वकीलों को उनके चैंबर खोलने की अनुमति दी जाए ताकि वे अपनी फाइल और किताबें हासिल कर सकें। कुछ शर्तों और सुरक्षा मानकों के साथ चैंबर खोले जा सकेंगे जिसमें कमरे में आने वाले व्यक्तियों की संख्या और समय की शर्त भी शामिल है।
चरणबद्ध कार्य योजना पर विचार करने के लिए उच्च न्यायालय की समिति ने दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के आग्रह पर 14 मई की बैठक में विचार किया और अनुशंसा की कि दो चरणों में चैंबर खोले जा सकेंगे — सुबह दस बजे से 12 बजे तक और दोपहर दो बजे से शाम चार बजे तक।
रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय की तरफ से जारी सार्वजनिक नोटिस में कहा गया, ‘‘बचे हुए समय का इस्तेमाल सैनिटाइजेशन और भवन के इस्तेमाल होने वाले इलाकों की सफाई में होगा।’’
नोटिस में बताया गया, ‘‘समिति ने मोहित माथुर (डीएचसीबीए के अध्यक्ष) के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जिसमें वकीलों को अपनी फाइल, किताबें, सामान ले जाने के लिए अपने चैंबर में जाने की अनुमति देने की अपील की गई थी।’’