दिल्ली : आग की त्रासदी के बाद अस्पताल में भयावह दास्तां - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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दिल्ली : आग की त्रासदी के बाद अस्पताल में भयावह दास्तां

दिल्ली के लोकनायक जय प्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के एक कोने पर मुशर्रफ का चचेरा भाई भूरा खड़ा था। मुशर्रफ, दिल्ली के रानी झांसी रोड इलाके के बैग मैन्युफैक्चरिंग फैक्टरी के मृतकों में एक था। भूरा ने अनाज मंडी इलाके की भयावह आग की अराजकता व भ्रम की कहानी बयान की।

दिल्ली के लोकनायक जय प्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के एक कोने पर मुशर्रफ का चचेरा भाई भूरा खड़ा था। मुशर्रफ, दिल्ली के रानी झांसी रोड इलाके के बैग मैन्युफैक्चरिंग फैक्टरी के मृतकों में एक था। भूरा ने अनाज मंडी इलाके की भयावह आग की अराजकता व भ्रम की कहानी बयान की। 
भूरा ने धीमी आवाज में कहा, ‘मुशर्रफ, मेरे चचेरे भाई ने मुझे सुबह 5 बजे कॉल किया और आग के बारे में बताया। मैं उसकी आवाज में आग की भयावहता महसूस कर रहा था। वह सिहरन पैदा करने वाली थी।’
 
फैक्ट्री में आग रविवार को अल सुबह 4.30 बजे से 5 बजे के बीच लगी। उसने कहा, ‘मैंने उसे बिल्डिंग से कूदने को कहा। लेकिन उसने मुझसे कहा कि वह काफी ऊंचाई पर हैं और कूदने से मौत हो सकती है। इसके तुरंत बाद फोन का संपर्क टूट गया और जब मैं एलएनजेपी पहुंचा तो मुझे उसके नहीं होने की बात कही गई।’
 
भूरा अकेला नहीं है। अस्पताल की इमरजेंसी इस तरह की कहानियों से भरी पड़ी है। साजिद व मोहम्मद मोहसिन, उन 60 लोगों में से हैं जो आग लगने पर गहरी नींद में थे। नाम नहीं जाहिर करने के साथ उनके चचेरे भाई ने कहा, Òजब आग लगी, तो किसी को भी बचने का कोई मौका नहीं मिला।’ 
उन्होंने कहा कि इमारत में सिर्फ बैग फैक्ट्री ही नहीं बल्कि एक जैकेट मैन्युफैक्चरिंग ईकाई भी थी। बैग फैक्ट्री में उनका चचेरा भाई काम करता था। उन्होंने कहा कि वह अपने चचेरे भाई का पता लगाने में जुटे हुए हैं। 
मुस्ताक नद्दाक, एलएनजेपी के एक कोने में एक पेड़ के नीचे चुपचाप खड़े हैं। वह खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि उनके दो संबंधी-भाई अब्बास व ससुर मुस्ताक जीवित हैं। दोनों को अस्पताल के इमरजेंसी में लाया गया है और इलाज चल रहा है। 
नूरजहां अस्पताल के सुरक्षा कर्मचारियों से अपने लोगों की पूछताछ कर रही है। नूरजहां ने आईएएनएस से कहा, ‘वे यह नहीं बता रहे कि मेरे भाई व पिता सुरक्षित हैं या नहीं।’ वह जानने को बेताब है कि उनके परिवार के दोनों कमाने वाले जीवित हैं या नहीं। 
अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड रविवार की सुबह आग की त्रासदी से पीड़ित परिवारों के दुख व नाराजगी से भरा पड़ा था। 

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