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दिल्ली पुलिस का दावा, ‘तेजस्विनी’ पहल के सकारात्मक नतीजे आए, कानून व्यवस्था की स्थिति में हुआ सुधार

दिल्ली पुलिस ने अपनी समीक्षा में पाया है कि शहर के उत्तर पश्चिमी जिले में महिलाओं के प्रति अपराधों पर लगाम लगाने के लिए शुरू की गई ‘तेजस्विनी’ पहल के सकारात्मक नतीजे आए हैं।

दिल्ली पुलिस ने अपनी समीक्षा में पाया है कि शहर के उत्तर पश्चिमी जिले में महिलाओं के प्रति अपराधों पर लगाम लगाने के लिए शुरू की गई ‘तेजस्विनी’ पहल के सकारात्मक नतीजे आए हैं और इलाके में कानून व्यवस्था की स्थिति सुधरी है। यह दावा रविवार को एक आधिकारिक बयान में किया गया।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली पुलिस ने इस साल 10 जुलाई को उत्तर पश्चिम जिले में महिलाओं के प्रति अपराधों पर लगाम लगाने और संरक्षा एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ‘तेजस्विनी’ पहल की शुरुआत की थी।
तेजस्विनी की सफलता के उत्तर पश्चिम जिले में महिलाएं अधिक सुरक्षित महसूस कर रही हैं 
आधिकारिक बयान में कहा गया कि तेजस्विनी की सफलता के बाद उत्तर पश्चिम जिले में महिलाएं अधिक सुरक्षित महसूस कर रही हैं और इस पहल से काफी संतुष्ट हैं। पुलिस ने बताया कि इस पहल के तहत 46 महिला कांस्टेबल को जहांगीरपुरी के जेजे क्लस्टर, शकूरपुर और पीतमपुरा के आवासीय इलाकों और भलस्वा गांव, बाजार और मॉल, मेट्रो स्टेशन, स्कूल कॉलेज सहित विभिन्न अपराध संभावित और संवेदनशील इलाकों में तैनात किया गया।
तेजस्विनी पहल का फीडबैक अच्छा मिला-
बयान में कहा गया, ‘‘आवधिक समीक्षा और पुलिस उपायुक्त (उत्तर पश्चिम) की करीब से निगरानी के सकारात्मक फीडबैक मिले हैं और कानून-व्यवस्था में तेजी से सुधार हुआ है।’’ विज्ञप्ति में कहा गया कि समीक्षा के तहत पुलिस उपायुक्त (उत्तर पश्चिम) उषा रंगनानी ने इलाके में महिलाओं के विभिन्न समूहों से संवाद किया और चर्चा के खुले सत्र आयोजित किए और इसके साथ ही महिला कांस्टेबल ने भी व्यक्तिगत स्तर पर जमीनी सच्चाई की निगरानी की।
पुलिस ने बताया कि भरत नगर पुलिस थाने में तैनात कांस्टेबल किरण उत्तर पूर्व जिले में बहादुर महिला का चेहरा बन गई हैं जिन्होंने गश्त के दौरान अकेले चेन झपटमार का पीछा किया और उसे पकड़ा। आज किरण को इलाके की महिलाएं ‘आशा की किरण’ कहती हैं।
पुलिस ने गत तीन महीने का लेखाजोखा पेश करते हुए बताया कि जिले में महिला पुलिस अधिकारियों द्वारा 116 मामलों को सुलझाया गया है जबकि 137 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। इस दौरान 243 वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं की मदद की गई है जबकि स्कूल और कॉलेज में लड़कियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देने के लिए 13 शिविर लगाए गए। सड़क पर होने वाली घटनाओं को लेकर आने वाली पीसीआर कॉल में 23 प्रतिशत की कमी आई है जबकि महिलाओं से जुड़े मामलों में आने वाली पीसीआर कॉल में 31 प्रतिशत की कमी आई है।

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