दिल्ली पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने पिछले साल कोरोना महामारी और उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगों जैसी चुनौतियों का डट कर सामना किया। पुलिस आयुक्त ने दिल्ली पुलिस के वार्षिक संवाददाता संम्मेलन में शुक्रवार को कहा कि उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे में पुलिस ने तकनीकी मदद से स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कर बेहतरीन प्रदर्शन किया और इसमें 755 प्राथमिकी दर्ज हुई। इस हिंसा की जांच के लिए क्राइम ब्रांच की तीन एसआईटी गठित की गई और स्पेशल सेल ने एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। हिंसा में शामिल लोगों को पहचानने के लिए दिल्ली पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की मदद ली जिससे सफलता भी मिली है। इस हिंसा में 1818 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली हिंसा में 53 लोगों की मौत हुई और 581 लोग घायल हुए थे। पिछले साल 24 और 25 फरवरी को दंगों के दौरान सबसे ज्यादा हिंसक घटनाए हुईं। कुल 755 प्राथमिकी दर्ज की गयीं और हमने सुनिश्चित किया कि किसी को यह शिकायत ना रहे कि उनके मामले को नहीं सुना गया।
श्रीवास्तव ने तकनीक के इस्तेमाल का ब्योरा देते हुए कहा कि 231 आरोपियों को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया गया। उनमें से 137 की पहचान एफआरएस (चेहरा पहचान तकनीक) के जरिए की गयी और आपराधिक रिकार्ड का मिलान किया गया। बाकी 94 मामले में छानबीन के लिए ड्राइविंग लाइसेंस की तस्वीरों का इस्तेमाल हुआ है। उन्होंने कहा कि साल 2020 में दिल्ली पुलिस ने विभिन्न चुनौतियों का सामना किया है। कोरोना के कारण जब लॉकडाउन लगा तब कई प्रकार की परेशानी लोगों को हो रही थी मगर पुलिसकर्मियों ने आगे बढ़ कर उनकी मदद की। बुजुर्ग और बीमार लोगों को दवाईयां दीं। डेढ़ लाख कोरोना से बचाव के लिए दवा के पैकेट बांटे गए थे। इस दौरान अधिकतर चीजें ऑनलाइन हुईं। इस कारण साइबर क्राइम भी बढ़। साइबर ठग और अपराधी अधिक सक्रिय हो गए थे लेकिन इसको रोकने के लिए पुरजोर कोशिश कर सफलता भी पाई। दिल्ली पुलिस ने अपराध रोकने के लिए पांच प्रमुख बिंदुओं पर काम किया जिससे 60 फीसद अपराध में कमी आई।