दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र शरजील इमाम के खिलाफ दिसंबर 2019 में दिल्ली के जामिया इलाके में और जनवरी में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश में उनके द्वारा दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों के लिए देशद्रोह और अन्य आरोप तय किए हैं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने शरजील इमाम के खिलाफ धारा 124 ए (देशद्रोह), 153 ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, आदि), 153 बी (आरोप, राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक दावे), 505 (जनता के लिए हानिकारक बयान) के तहत आरोप तय किए।
26 मार्च को होगी आगे की सुनवाई
बताते चलें कि कोर्ट ने 24 जनवरी 2022 को आरोप तय करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने शरजील की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 26 मार्च 2022 को सूचीबद्ध किया है। कोर्ट ने कहा, “यह यूएपीए के तहत मामला है। चूंकि 24 जनवरी को आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया गया था और इस अदालत ने सुझाव दिया था कि मामले की सुनवाई तेजी से पूरी की जाएगी, अदालत ने इस पर दिन-प्रतिदिन सुनवाई करने का प्रस्ताव रखा है।”
भड़काऊ भाषण और उकसाने के लगे आरोप
शारजीत इमाम को दिल्ली पुलिस ने 2020 में जहानाबाद, बिहार से गिरफ्तार किया था। इमाम को जामिया मिलिया इस्लामिया में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के मामले में जमानत दी गई थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। उन्होंने यह आरोप लगाया गया था कि उन्होंने भारत सरकार के प्रति घृणा, अवमानना और अप्रसन्नता को भड़काने वाले भाषण दिए। दिल्ली पुलिस ने शरजील के खिलाफ चार्जशीट में कहा था, ”उस पर देशद्रोही भाषण देने और समुदाय के एक खास वर्ग को गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने के लिए उकसाने का आरोप है, जो देश की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक है। ”