नई दिल्ली : दिल्ली सरकार में काम करने वाले भ्रष्ट, दागी और निक्कमे अधिकारियों एवं कर्मचारियों की अब खैर नहीं है। सरकार ने इन अधिकारियों और कर्मचारियों को ऐसा सबक सिखाने का निर्णय लिया है जिसे वे ताउम्र नहीं भूलेंगे। दिल्ली सरकार अपने विभागों में काम करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को जबरन रिटायर करेगी। सरकार ने सभी कैबिनेट मंत्रियों को भ्रष्ट अधिकारियों की सूची तैयार करने के निर्देश दिये हैं। विभाग इसके लिए काम शुरु कर देंगे।
जबरन रिटायरमेंट देने के निर्णय पर उपराज्यपाल की स्वीकृति के बाद दिल्ली सरकार ने भी अपनी मुहर लगा दी है। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को उपराज्यपाल अनिल बैजल और मुख्य सचिव विजय कुमार देव के साथ बैठक की थी। बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने अपने सभी कैबिनेट सदस्यों को अपने-अपने विभागों में ऐसे अधिकारियों एवं कर्मचारियों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया है, जिन्हें भ्रष्टाचार के चलते जबरन सेवानिवृत्त किया जा सके।
यह सेंट्रल सिविल सर्विसेस (पेंशन) रूल्स, 1972 के फंडामेंटल रूल 56 (जे) के तहत ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों को सेवानिवृत्त करने की केन्द्र सरकार के पहल की तर्ज पर होगा। महज चार दिन पहले बृहस्पतिवार को एलजी ने भी मुख्यसचिव, डीडीए उपाध्यक्ष और पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर एक माह में ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं दिल्ली सरकार शुरू से ही भ्रष्ट अधिकारियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोरता बरतने की नीति पर काम करती रही है।
अरविंद केजरीवाल ने बतौर मुख्यमंत्री अपनी सरकार के 49 दिनों के पहले कार्यकाल के दौरान ही भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई का आदेश दिया था। वर्तमान कार्यकाल में भी दिल्ली सरकार भ्रष्टाचार और के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपना रही है। ऐसे अधिकारी दिल्ली के लोगों के लिए बनाई जाने वाली विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को बर्बाद कर रहे हैं और जनता के हक के पैसों से अपना घर भर रहे हैं।