नई दिल्ली : भक्तों की रक्षा करने वाली मां दुर्गा की मूर्ति जब विधि-पूर्वक यमुना में विसर्जित की गई तो स्थिति एक बार फिर यमुना क्लीन का मुद्दा उठा है। मूर्ति विसर्जन से मैली हुई यमुना को लेकर एक बार फिर इकोफ्रेंडली मुहिम को पलीता लगा है। शनिवार को दिल्ली के कुछ चुनिंदा यमुना घाट पर नजारा ही कुछ ऐसा था।
जिसे देखकर ऐसा लगा कि आखिर कब यमुना की स्वच्छता के लिए दिल्लीवाले जागरूक होंगे। यमुना घाट पर कहीं मां की मुर्ति के हाथ बिखरें थे तो कई शेर का मुंह टूट हुआ था। भक्तों की रक्षा करने वाली मां दुर्गा की मूर्ति खंड-खंड में इधर-उधर बिखरी पड़ी है। उसके पास ही कुछ लोग उन मूर्तियों के टुकड़ों को इकट्ठा करने में लगे हुए हैं तो कुछ उन मूर्तियों को तोड़कर उनमें लगे चंद लोहे के टुकड़े व लकड़ियां बटोर रहे हैं।
हर साल पर्यावरण व यमुना बचाओ का पाठ क्यों भूल जाते हैं श्रद्धालु
यमुना व दूषित हो रहे पर्यावरण को लेकर साल में न जाने कितने ही कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जहां लोग शपथ भी लेते हैं कि वह पर्यावरण व यमुना को साफ करने की मुहिम में योगदान देंगे। लेकिन त्योहार के सीजन में इसके विपरीत देखने को मिलता है। मूर्ति विसर्जन से यमुना इतनी मैली हो जाती है कि ऐसा लगता नहीं कि कार्यक्रमों का आयोजन करने से कोई फायदा होता है। असल में मैली हो रही यमुना के जिम्मेदार हम स्वयं हैं।
मूर्तियों के टुकड़ों से जोड़ रहे दो वक्त की रोटी
यमुना घाट पर मूर्ति विसर्जन के अगले दिन आस-पास के रहने वाले लोग टूटी मूर्तियों से पैसे व पूजा सामाग्री निकाल रहे थे। जिससे उनके घर में दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो सके। यमुना के अंदर उतरकर लोग घंटों कुछ न कुछ खोजने की कोशिश कर रहे थे। इधर आईएसबीटी घाट पर जेसीबी मशीन व क्रेन से मूर्तियां निकलवाए जाने का काम किया जा रहा था। मालुम हो कि कुछ दिन बाद एक बार फिर से छठपूजा को लेकर यमुना साफ व सुंदर घाट बनाने की क्रिया शुरू हो जाएगी। लेकिन मैली हो रही यमुना को लेकर दिल्लावीले कब जागरूक बनेंगे।