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गांव के विस्थापित महिला पुरूष रैयतों ने 16 सूत्री मांग को लेकर प्रदर्शन किया

नाम पर अवैध पैसे की उगाही की जा रही है जिस पर विस्थापितों का हक है। प्रबंधन अविलंब इसे बंद करे वरना बहुत जल्द बड़ा आंदोलन होगा।

बेरमो : सीसीएल बी एण्ड के. के कोनार परियोजना के पास स्थित बरवाबेड़ा गांव के विस्थापित रैयतों ने अपनी 16 सूत्री मांगों को लेकर सैकड़ों की संख्या में महिला एवं पुरुषों ने प्रदर्शन किया। इससे पूर्व बरवाबेड़ा गांव से पैदल मार्च करते हुए जुलूस के रूप में परियोजना पहुंच कर प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की। प्रबंधन होश में आओ, हैवी ब्लास्टिंग बंद करो, लोकल सेल चालू करो, आउटसोर्सिंग कंपनी में बेरोजगार रैयतो को काम दो, गांव में बुनियादी सुविधाएं बहाल करो नारे लगा रहे थे। सभा की अध्यक्षता और संचालन करते हुए बेलाल हाशमी ने कहा कि हैवी ब्लास्टिंग कर प्रबंधन बरवाबेड़ा गांव के घरों को नुकसान पहुंचा रहा है। वहीं लोकल सेल बंद कर चार-पांच महीनों से बेरोजागार लदनी मजदूर, ट्रक ऑनर, डी ओ होल्डर खाली बैठे हुए हैं। प्रबंधन अविलंब इसको चालू करे, अन्यथा 28 नवंबर से कोलियरी को चक्का जाम किया जएगा।

राकोमसं बी एण्ड के अध्यक्ष बिरेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि बेरमो को धनबाद नहीं बनने दिया जाएगा। लोकल सेल प्रबंधन जल्द शुरु करे, स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराए नहीं तो 28 नवंबर से परियोजना का चक्का जाम होगा। प्रबंधन कुछ लोगों की बातों को सुन कर मनमानी कर रही है, पर ऐसा नही चलेगा। प्रबंधन कुछ दबंग लोगों की बात सुन कर मनमानी कर रही है, परन्तु ऐसा नहीं चलेगा। राकोमसं बी एण्ड के सचिव श्यामल कुमार सरकार, सुजित कुमार घोष ने कहा कि बरवाबेड़ा के विस्थापितों की जमीन परियोजना में गई है और यही अगर बेरोजगार रहें और अपने हक से वंचित रहे ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। श्रमिक नेता सुबोध सिंह पवार ने कहा कि सेल के पैसे से प्रबंधन को मैनेज करने के नाम पर अवैध पैसे की उगाही की जा रही है जिस पर विस्थापितों का हक है। प्रबंधन अविलंब इसे बंद करे वरना बहुत जल्द बड़ा आंदोलन होगा।

मौके पर बीरेन्द्र कुमार सिंह, श्यामल कुमार सरकार, सुजित कुमार घोष, सुबोध सिंह पवार, मो. सरफुद्दीन, अजय झा, बेलाल हाशमी, विजय कुमार, मो. नन्हे, मकसूद आलम, साबरा खातून, मो इज़हार, मो जावेद, मो. जाफर, मो. इसरार, मो. जीलानी, मो. कलन्दर, मो. इसलाम, रजाउददीन, साबरा बानो, नूरजहां, सानिया खातून, राबिया बानो, हदीशा खातून, साजदा खातून, सुल्ताना, रेशमा, मेहरून निशा, सुल्ताना, अफरोज, मो. रियाज, मो. इबरार, मो. जहीर, मो. रिजवान, हाजी यासीन, मो. कुर्बान, जीसी मंडल, अभय सिंह, लालचंद महतो सहित सैकड़ों की संख्या में स्थानीय विस्थापित परिवार के सदस्य मौजूद थे।

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