नई दिल्ली : सरकारी एजेंसियों का आलम तो देखिए कि चार माह पूर्व ही सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) की चेतावनी के बावजूद वह अपने कानों में तेल डालकर बैठी रही। एजेंसियों ने इस पर अमल भी तब किया जब हालात हाथ से निकल चुके थे। ऐसा करके दिल्ली सरकार दरअसल, सीपीसीबी ने प्रदूषण नियंत्रण को लेकर इसी साल 8 मई को ही दिल्ली सरकार समेत सभी एजेंसियों को एक पत्र के द्वारा गाइडलाइन जारी की थी।
जिसमें दिल्ली में प्रदूषण की समस्या आने से पूर्व ही एहतियाती उपाय शुरू करने के दिशा-निर्देश दिए गए थे। समय रहते यदि सरकारी एजेंसियों ने सीपीबीसी की गाइडलाइन पर अमल किया होता तो आज दिल्ली गैस चैंबर न बनी होती। सीपीसीबी ने एजेंसियों को दिल्ली में निर्माण कार्यों पर रोक लगाने व सड़कों के किनारे जमा धूल को साफ करने के निर्देश जारी किए थे। सीपीसीबी ने यह निर्देश बीते 8 मई को सभी एजेंसियों को एक पत्र के द्वारा जारी किया था।
यह दिशा-निर्देश दी एनवायरनमेंट (प्रोटेक्शन) एक्ट 1986 के सेक्शन 5 के तहत दिए गए थे। जिसके तहत दिल्ली में कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन एक्टिविटी पर रोक लगानी होती है और यह सुनिश्चित करना होता है कि कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 का पालन हो सके। इन एजेंसियों में नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई), डीडीए, डीएमआरसी, नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (एनबीसीसी), एनडीएमसी, नॉर्थ एमसीडी, ईस्ट एमसीडी, साउथ एमसीडी, पीडब्ल्यूडी के नाम शामिल थे।
प्रदूषण से निपटने के लिए मंत्री ने ली अधिकारियों की क्लास
– राजेश रंजन सिंह