राजधानी दिल्ली में नगर निगम चुनाव का बिगुल बज चुका है। चुनाव आयोग ने दिल्ली में चार दिसंबर को चुनाव कराने की घोषणा की है। चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दिल्ली के अलग-अलग वार्डों में जोर-शोर से प्रचार कर रही है। इस बार तीनों पार्टियां पूर्वांचली वोटर्स पर नजर गड़ाए हुए हैं। इसकी वजह यह है कि एमसीडी के लगभग डेढ़ करोड़ वोटर्स में पूर्वांचली मतदाताओं की संख्या 50 लाख के करीब है। ऐसे में ये वोटर्स चुनाव में किसी पार्टी की जीत के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं
राजधानी में पुर्वांचल का दबदबा
बिहार और उत्तर प्रदेश के ऐसे मतदाता जो कि भोजपुरी भाषा बोलते हैं। इन्हें ही पूर्वांचली वोटर्स कहा जाता है। यूपी के कई जिले- जैसे वाराणसी, बलिया, गोरखपुर के लोग पूर्वांचली कहलाते हैं। झारखंड के भी वैसे लोग जो भोजपुरी बोलते हैं, उन्हें भी दिल्ली में लोग पूर्वांचली कहकर ही पुकारते हैं। बता दें कि दिल्ली में नगर निगम चुनाव के नतीजे 7 दिसंबर को आएंगे। इस बार 250 वार्डों में चुनाव हो रहा है।
70 वार्डों के चुनाव परिणामों पर असर डाल सकते हैं ये वोटर्स
दिल्ली बीजेपी के नेताओं का दावा है कि इस बार के चुनाव में पूर्वांचली वोटर्स उन्हें ही वोट करेंगे। इस बार भाजपा ने 50 पूर्वांचली उम्मीदवार एमसीडी चुनाव के लिए उतारे हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी ने भी लगभग इतनी संख्या में पूर्वांचली उम्मीदवारों को टिकट दिया है। बताया जा रहा है कि 250 में से लगभग 70 वार्डों में यह वोटर्स किसी भी पार्टी की जीत-हार में निर्णायक साबित होंगे। इस बार बीजेपी ने पूर्वांचल के मनोज तिवारी, रवि किशन और दिनेश लाल निरहुआ को स्टार प्रचारक बनाया है। ये तीनों भोजपुरी के प्रसिद्ध नेता हैं। दिल्ली में इनके प्रशंसक काफी संख्या में हैं।
AAP का दावा, पूर्वांचली लोग देंगे साथ
वहीं, आम आदमी पार्टी के नेताओं का दावा है कि एमसीडी चुनाव में पूर्वांचली वोटर्स उनका साथ देंगे। दिल्ली सरकार ने इस बार छठ पूजा का आयोजन काफी भव्य तरीके से किया था। दिल्ली में लगभग पूजा के लिए 1200 घाट बनाए गए थे। छठ पूजा को मनाने वाले अधिकतर लोग पूर्वांचल के ही होते हैं।
आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि दिल्ली सरकार पूर्वांचल के लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए कई विकास काम किए हैं। वहीं, कांग्रेस नेताओं ने बीजेपी, और आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग सिर्फ अपने राजनीतिक हित साधने के लिए पूर्वांचल के लोगों का इस्तेमाल करते हैं। आज के समय में न तो केंद्र सरकार और न ही केजरीवाल सरकार इनकी समस्याएं सुन रही है।