पश्चिमी दिल्ली : रोहिणी में एक 64 साल के सिरफिरे शख्स ने अपनी ही पत्नी और बहू पर चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर मौत के घाट उतार डाला। उसने दोनों पर दर्जनभर बार चाकू से हमला किया और बहू के गले को बेरहमी से रेत डाला। आरोपी ने तड़के सुबह दोनों पर उस समय हमला कर दिया, जब दोनों एक ही कमरे में बच्चों के साथ सो रही थीं।
बताया जाता है कि आरोपी पिछले काफी समय से अपनी पत्नी और बेटे की बहू के चरित्र पर शक था, जिसकी वजह से उसने वारदात को अंजाम देकर पूरे इलाके में तहलका मचा दिया। घटना रोहिणी जिले के विजय विहार थाने की है, जहां सूचना पर पहुंची पुलिस ने सास-बहू के शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और आरोपी सतीश चौधरी (64) को वारदात में इस्तेमाल चाकू के साथ गिरफ्तार कर लिया है।
बताया जाता है कि वारदात के दौरान आरोपी का छोटा बेटा भी घर में ही मौजूद था, जिसे आरोपी ने उसके कमरे में बंद कर दिया था। किसी तरह से दरवाजा खोलकर जब वह दोनों को बचाने आया तो आरोपी ने उसपर भी हमला कर दिया, जिससे उसके हाथ पर चाकू से जख्म के निशान बन गए। मृतका का बड़ा बेटा सिंगापुर गया हुआ था।
पत्नी और बहू के चरित्र पर था शक…
बताया जाता है कि आरोपी का अपनी पत्नी के साथ काफी पहले से ही झगड़ा होता रहा है और दोनों के बीच संबंध कभी भी मधुर नहीं रहे। वह अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करता था। बेटे की शादी के बाद बहू प्रज्ञा का अपनी सास के साथ ज्यादा अच्छे संबंध थे। पति के बाहर रहने की वजह से वह अपनी सास के साथ एक ही कमरे में अपने बच्चों को लेकर सोती थी। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसे अपनी पत्नी और बहू के चरित्र पर शक था कि उनका बाहर किसी दूसरे से एक्सट्रा मैरिटल अफेयर चल रहा है। जिसको लेकर उसके अंदर काफी दिनों से गुस्सा भरा हुआ था।
आरोपी झगड़ालु प्रवृति का था…
मौके पर आसपास के लोगों से बातचीत के दौरान पता चला कि आरोपी सतीश चौधरी काफी झगड़ालु प्रवृति का था और अक्सर लोगों से उसका झगड़ा होता रहता था। यही वजह है कि निजी स्कूल में शिक्षक के तौर पर कहीं भी टिक कर काम नहीं कर सका और स्कूल से निकाले जाने के बाद निजी ट्यूशन देने लगा था। हालांकि बच्चों के साथ मारपीट करने की वजह से उसके पास बच्चे आने बंद हो गए थे।
डीडीए से रिटायर्ड थीं बुजुर्ग महिला…
घटना की पुष्टि करते हुए रोहिणी जिला पुलिस उपायुक्त एसडी मिश्रा ने मृतक बुजुर्ग महिला की पहचान 62 वर्षीय स्नेहलता चौधरी के तौर पर की है, जबकि उनकी बहू की पहचान 35 वर्षीय प्रज्ञा चौधरी के तौर पर की है। परिजनों से बातचीत में पता चला कि मृतक स्नेहलता डीडीए में कार्यरत थीं और कुछ साल पहले ही उन्होंने वीआरएस लिया था। उनकी पेंशन से ही घर का खर्चा चलता था। उनके आरोपी पति सतीश काफी साल पहले प्राइवेट टीचर के तौर पर काम करते थे, लेकिन काफी समय से घर पर ही रहते थे। दोनों के दो बेटे हैं।
बड़े बेटे का नाम गौरव चौधरी है, जिसकी शादी प्रज्ञा चौधरी से हुई थी और दोनों के एक 4 साल की बेटी आरोही और 1 साल का बेटा आर्यन है। जहां प्रज्ञा इंडिगो एयरलाइन्स में एयरहोस्टस के तौर पर जॉब करती थी, वहीं उसका पति गौरव आईबीएम में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और इन दिनों सिंगापुर में कार्यरत है। जबकि छोटा बेटा सौरभ चौधरी भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और बैंगलोर स्थित एसएपी में कार्यरत है। बताया जाता है कि वह 4-5 दिनों पहले ही दिल्ली आया था। पूरा परिवार रोहिणी सेक्टर-4 में बी-6 में रहता था।
गुरुग्राम में होने वाले थे शिफ्ट…
पूछताछ में ही पुलिस को पता चला कि आरोपी सतीश की हरकतों से तंग आकर उसकी पत्नी अपनी बहू व अन्य परिजनों के साथ सतीश से दूर गुुरुग्राम इलाके में शुक्रवार को शिफ्ट होने वाले थी। आरोपी ने पूछताछ में बताया कि उसे पहले से ही दोनों पर शक था, ऐसे में उसे शक था कि दोनों उससे दूर जाने का बाद अपनी मन की मर्जी से हरकत करेंगी।
जिसके लिए वह तैयार नहीं था और उसने शुक्रवार सुबह करीब 5.10 बजे अपने बिस्तर उठा और चाकू किचन में रखा चाकू उठाकर उस कमरे में चला गया, जहां उसकी पत्नी और बहू सो रहे थे। उसने सबसे पहले बहू प्रज्ञा पर चाकू से ताबड़तोड़ वार करना शुरू किया और फिर एक ही झटके में उसका गला रेत डाला। शोर सुनकर उसकी पत्नी बहू को बचाने आई तो आरोपी ने पत्नी पर भी चाकू से ताबड़तोड़ वारकर उसे मौत के घाट उतार डाला।
बचाने पहुंचे छोटे बेटे पर भी उसने चाकू से हमला कर दिया, जिससे उससे हाथ पर जख्म बन गए। हालांकि छोटे बेटे ने उसे धक्का देकर एक कमरे में बंद कर दिया और मामले की सूचना पुलिस को दी। जहां प्रज्ञा की मौके पर ही मौत हो गई थी, वहीं स्नेहलता की मौत अस्पताल में उपचार के दौरान हुई।
आरोपी के पिता ने जायदाद से कर दिया था बेदखल…
परिजनों ने बताया कि आरोपी सतीश के पिता का पीतमपुरा इलाके में प्रॉपर्टी है, जिसमें उन्होंने अपने अन्य बेटों को तो हिस्सेदारी दी थी, लेकिन आरोपी हरकतों की वजह से उसे जायदाद से बेदखल कर दिया था। अपना हिस्सा पाने के लिए आरोपी ने अपने ही पिता पर केस भी दर्ज करा रखा था। हैरानी इस बात की है कि वारदात को अंजाम देने के बाद भी आरोपी के चेहरे पर शिकन तक न थी।
मां-बाप नहीं थे, चाचा ने पाला था प्रज्ञा को…
मृतका प्रज्ञा के चाचा बलबीर ने बताया कि प्रज्ञा के मां-बाप की काफी समय पहले ही मौत हो जाने के बाद उन्होंने उसे अपनी बेटी की तरह पाला था। उसे अच्छी तालीम दी और फिर शादी करा दी थी। उन्होंने बताया कि आरोपी उसकी भतीजी के साथ हमेशा बुरा बर्ताव करता था और बिना बात उसे डांटता रहता था।