नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के बैनर तले विश्वविद्यालय के तदर्थ शिक्षकों का समायोजन, प्रमोशन, पेंशन सहित विभिन्न मांगों को लेकर धरना रविवार को पांचवें दिन भी जारी रहा। इससे पहले डूटा ने रविवार को शिक्षकों को अपने परिवार संग आने का आह्वान किया था। जिसके मद्देनजर कुलपति कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में शिक्षकों के परिजन भी पहुंचे।
शिक्षकों के परिजन अपने-अपने हाथों में तख्तियां लिए हुए केंद्र सरकार और डीयू प्रशासन से मांग की है। जिसमें ‘मेरी मां अभी भी एडहॉक है’, ‘मेरी मां को अब्सॉप्शन दो’ सहित ‘सरकार सुन लो मेरी पुकार, मां को दे दो अब्सॉप्शन’ जैसे नारे लिखे हैं। IJK डूटा उपाध्यक्ष आलोक पांडेय ने कहा कि आज जिस तादात में शिक्षक यहां इकट्ठे हुए हैं इसको देखकर लग रहा है कि हम यह लड़ाई जरूर जीतेंगे।
उन्होंने कहा कि इस बार शिक्षक आर-पार के मूड में हैं। बता दें कि बड़ी संख्या में अपने परिजनों के उपस्थित हुए शिक्षकों ने अपनी-अपनी पीड़ा साझा करते हुए प्रशासन से समायोजन की मांग की है। वहीं दूसरी तरफ विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बार फिर से डूटा से आंदोलन वापस लेने की अपील की है।
डीयू रजिस्ट्रार प्रो. तरुण दास ने वरिष्ठ शिक्षाविदों और डीयू की कुछ संकाय के प्रमुखों (डीन) के साथ रविवार को हुई बैठक का हवाला देते हुए डूटा के मौजूदा आंदोलन को विश्वविद्यालय की गरिमा को क्षति पहुंचाने वाला कहा है। आंदोलन से विद्यार्थियों के हित प्रभावित हो रहे हैं।
आज शिक्षक संसद तक करेंगे मार्च…अपनी मांगों पर अड़े डीयू के शिक्षकों ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए सोमवार को मंडी हाउस से संसद तक मार्च निकालने की घोषणा की है। इस बारे में शिक्षकों का कहना है कि गुरुवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) के सचिव (उच्च शिक्षा) आर. सुब्रमण्यम से हुई बातचीत से उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हुआ है।
सरकार ने 28 अगस्त का अतिथि शिक्षकों की नियुक्तियों के लिए जारी पत्र को वापस नहीं लिया है, उसमें कुछ संशोधन कर केवल मौजूदा सत्र तक तदर्थ शिक्षकों को राहत दी है। इसमें समायोजन, एडहॉक सर्विस के अनुभव को जोड़ने, प्रोमोशन और पेंशन आदि किसी भी मांग को पूरा नहीं किया गया है।