दिल्ली यूनिवर्सिटी आगामी सत्र में नई शिक्षा नीति (New Eduaction Policy) के अधिकांश प्रावधानों को लागू करना चाहती है। इस सम्बन्ध में यूनिवर्सिटी ने सभी शिक्षकों, छात्रों और उनके अभिभावकों को इससे अवगत करते हुए राय मांगी है। हालांकि दिल्ली यूनिवर्सिटी में शिक्षकों का एक बड़ा समूह कई नए बदलावों का पुरजोर विरोध कर रहा है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिक्षक एवं छात्र और उनके अभिभावक 30 जनवरी तक नई शिक्षा नीति के संबंध में यूनिवर्सिटी को अपनी औपचारिक राय भेज सकते हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी ने एक गूगल फॉर्म जारी किया है, जिस पर लोगों ने उनकी राय मांगी गई है। दरअसल, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय चाहता है कि देश के सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटीज़ में नई शिक्षा नीति का क्रियान्वयन हो। इसके लिए आवश्यक निर्देश भी दिए गए हैं।
दिल्ली यूनिवर्सिटी नए सत्र से शिक्षा नीति के कई महत्वपूर्ण प्रावधानों को अमल में लाना चाहता है। इसमें नया क्रेडिट सिस्टम। मल्टीपल एंट्री एग्जिट सिस्टम। केंद्रीय विश्वविद्यालय एंट्रेंस टेस्ट के जरिए यूनिवर्सिटी में दाखिले का तरीका आदि शामिल है।
बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले स्टूडेंट्स को मिलेगा लाभ
मल्टीपल एंट्री एग्जिट सिस्टम के जरिए ऐसे छात्रों को विशेष लाभ मिलेगा जिन्हें किन्ही कारणों से पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। एक निश्चित समय के उपरांत किसी पाठ्यक्रम को छोड़ने पर छात्रों को डिप्लोमा प्राप्त होगा, जबकि उसी पाठ्यक्रम को पूर्ण कर लेने पर यूनिवर्सिटी डिग्री प्रदान करेगा। इसके अलावा किसी भी स्ट्रीम के छात्र अपनी पसंद के विषय चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे। मसलन इंजीनियरिंग अथवा विज्ञान के छात्र यदि चाहें तो उन्हें संगीत की शिक्षा भी प्रदान की जा सकेगी।
बदलावों के खिलाफ विरोध
डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट की सचिव आभा देव हबीब नए प्रावधानों का विरोध कर रहे कई शिक्षकों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। प्रोफेसर आभा देव हबीब का कहना है कि बिना चर्चा के इन प्रावधानों को लागू किया जा रहा है। साथ ही इनमें से कई प्रावधान ऐसे हैं, जिसके कारण छात्रों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा। इनमें से एक 4 वर्षीय ग्रेजुएशन पाठ्यक्रम है। इस पाठ्यक्रम के कारण चौथे वर्ष के लिए छात्रों पर अधिक आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा।
गौरतलब है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी नई शिक्षा नीति के कई प्रावधानों को पहले ही लागू कर चुका है। इनमें से एक केंद्रीय विश्वविद्यालय कॉमन एंट्रेंस टेस्ट है। दिल्ली यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल और एग्जीक्यूटिव काउंसिल दोनों में ही इस प्रावधान को मंजूरी दी जा चुकी है। जिसके बाद अब दिल्ली यूनिवर्सिटी के आगामी सत्र से दाखिले के लिए यह कॉमन एंट्रेंस टेस्ट लिया जाएगा।