पश्चिमी दिल्ली: दिल्ली की वाटर बॉडीज को बचाने के लिए एनजीटी के आदेशों के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। हालांकि एनजीटी में दाखिल याचिकाओं के बाद वाटर बॉडीज को पुनर्जीवित करने की दिशा में प्रयास शुरु किए गए। बावजूद इसके कोई ठोस नतीजे सामने नहीं आए। इसके बाद फिर से एनजीटी के ऑर्डर की अवेहलना और पालन कराने से संबंधित याचिका दोबारा दाखिल की गई है। इसकी सुनवाई आगामी 10 जनवरी को होगी। याचिकाकर्ता दीवान सिंह ने बताया कि द्वारका में 33 वाटर बॉडीज की सफाई व पुनर्जीवित करने की मांग की गई थी।
इन वाटर बॉडीज को उपराज्यपाल द्वारा गठित द्वारका वाटर बॉडीज कमेटी ने चिन्हित किया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि बरसात का पानी बड़ी मात्रा में वाटर बॉडीज के बदतर हालात के कारण बर्बाद हो जाता है। इससे पहले भी एनजीटी दिल्ली सरकार से राजधानी के वाटर बॉडीज की स्थिति सुधारने के लिए निर्देशित कर चुकी है। लेकिन हालात नहीं जस के तस ही रहे। ककरौला गांव में डीडीए वाटर बॉडी पर अतिक्रमण ज्यों का त्यों है। किसी भी वाटर बॉडी में बरसाती नाले का पानी कैसे आए, इंसका इंतजाम नहीं किया गया। सैक्टर-23 स्थित वाटर बॉडी के पास दो साल बीतने के बाद भी वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को चालू नहीं किया जा सका है।
सिंह के मुताबिक वॉटर बॉडीज भूजल स्तर के अलावा प्रदूषण को कंट्रोल करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। पीएम 10 व पीएम 2.5 को फिल्टर करने में भी वॉटर बॉडीज की अहम भूमिका होती है। लेकिन वर्तमान स्थिति इसके ठीक उलट है। कोई वाटर बॉडी कूड़ा फेंकने का केंद्र बन चुका है तो कोई अवैध तौर पर कब्जा लिए गए हैं।
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