नई दिल्ली : गॉल ब्लैडर में पथरी का इलाज करने में लापरवाही के आरोप पर रविवार को मैक्स पटपड़गंज अस्पताल ने अपना जवाब भेजा। जिसे पीड़ित रजनी ने पूरी तरह से खािरज कर दिया है। रजनी ने अस्पताल पर तथ्यों को छुपाने का आरोप लगाते हुए दिल्ली मेडिकल काउंसिल से इसकी शिकायत करने की बात कही है। अस्पताल ने अपने जवाब में कहा है कि रजनी पेट दर्द की शिकायत लेकर बीते 28 मार्च को अस्पताल में भर्ती हुई थी। जहां जांच में पता चला कि उसे कॉमन बाइल डक्ट (सीबीडी) में पथरी है। इसके लिए उसकी ईआरसीपी की गई, जिसके बाद उसने पेट दर्द की शिकायत की। यह दर्द पैन्क्रियाज में संक्रमण की वजह से हुआ जो इस प्रक्रिया में एक सामान्य बात है। इसके लिए उन्हें तीन दिन आईसीयू में रखा और जब उनकी स्थिति बेहतर हो गई, तब उन्हें 13 मार्च को डिसचार्ज किया गया। अस्पताल का आरोप है कि इसके तीन सप्ताह के बाद मरीज को स्टेंट निकालने और गॉल ब्लैडर के इलाज के लिए बुलाया गया था लेकिन मरीज अस्पताल नहीं आई।
इस पर रजनी का कहना है कि अस्पताल ने ईआरसीपी के दौरान सीबीडी में कट की बात छुपा ली। यही नहीं पैन्क्रियाज में संक्रमण भी इसी कट के बाद हुआ क्योंकि इससे पहले की जांच में इसका कहीं जिक्र नहीं हुआ। अस्पताल इस तथ्य पर भी गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। रजनी का कहना है कि अस्पताल ने उन्हें प्रोसीजर से पहले कभी यह नहीं बताया कि इसमें कट लग सकता है या पैन्क्रियाज में संक्रमण हो सकता है। उनका कहना है कि अस्पताल का यह दावा भी झूठा है कि उनकी तबियत बेहतर होने पर उन्हें डिसचार्ज किया गया। रजनी का आरोप है कि आईसीयू से तीन दिन के बाद निकलने के बाद से ही उस पर डिसचार्ज का दबाव बनाया जाने लगा था।
यही नहीं अगर उसकी तबियत बेहतर होती तो एम्स जैसे संस्थान में उसे भर्ती कैसे कर लिया जाता। रजनी का आरोप है कि अस्पताल ने सिर्फ लापरवाही से उसके जीवन को संकट में डाला है बल्कि वहां भर्ती रहने के दौरान उससे सही व्यवहार भी नहीं किया। यहां तक की तीन लाख साठ हजार रुपए लेने के बाद भी वह डिसचार्ज पर जांच के फिल्म देने तक से इंकार कर दिया था। इसकी वजह से उन्हें पुलिस तक को बुलाना पड़ा था। उनका कहना है कि अस्पताल को सबक सिखाने के लिए वह सोमवार को दिल्ली मेडिकल काउंसिल में शिकायत दर्ज कराएंगी।
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