नई दिल्ली : दिल्ली के एक हजार से अधिक गेस्ट हाउस व बजट होटलों पर फायर विभाग की तलवार लटक रही है। इनके संचालकों से प्रतिष्ठान में आग से बचने का इंतजाम करने के साथ ही भूतल व तीन मंजिल से ऊपर के निर्माण को विभाग द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं देने की बात कही है। इससे संचालकों में खलबली है। इसे लेकर संचालक दिल्ली सरकार से हस्तक्षेप कर बीच का रास्ता निकालने की मांग कर रहे हैं, जिसपर दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन व इमरान हुसैन ने कल यानी की बुधवार को होटल व गेस्टहाउस संचालकों के साथ बैठक बुलाई है।
लेकिन अब यह कहना जो फायर के नाम्स फॉलो नहीं करेगा उनके एनओसी कैंसिल कर दी जाएगी यह गलत है। क्योंकि जिस को जिस आधार पर एनओसी मिली है उस आधार के पर ही उनको एनओसी जारी रखनी चाहिए खासतौर से पुराने होटलों के अंदर ना तो पानी की क्षमता बढ़ सकती है ना ही किसी तरह की और नए रिक्रूमेंट, क्योंकि बिल्डिंग पुरानी है। इन बिल्डिंग के अंदर किसी तरीके का चेंज संभव नहीं है। नए कानून में इस बात का ध्यान रखा जाए।
फरवरी में करोलबाग के होटल अर्पित में भीषण अग्निकांड में 17 पर्यटकों की मौत हो गई थी। इसके बाद से दिल्ली के सभी होटलों व गेस्ट हाउस में आग से बचने के इंतजामों की जांच के साथ बदइंतजामी मिलने पर कार्रवाई तेज हुई है। दिल्ली सरकार ने ऑर्डिनेंस लाकर भूतल व तीन मंजिल से अधिक के होटल व गेस्ट हाउस को अग्निशमन एनओसी न देने की व्यवस्था की है। इसके बाद से विभाग ने होटल व गेस्ट हाउस के संचालकों को कसना शुरू कर दिया है। होटल महासंघ के अध्यक्ष अरुण गुप्ता ने बताया कि वह दिल्ली सरकार से गुजारिश कर रहे हैं कि फायर के ऊपर जो भी कानून बना रहे हैं उससे पहले कुछ चीजें अपने जहन में रखें।
कोई भी नए कानून बनाते हुए एक तो यह भ्रांति सी फैल गई है कि दिल्ली के सारे गेस्ट हाउस बंद हो जाएंगे, जबकि ऐसा ना तो है और ना हो सकता है उसके पीछे कुछ वाजिब कारण हैं। अरुण गुप्ता ने बताया कि 90 के दशक के बने हुए सारे गेस्ट हाउस लगभग फायर नॉर्म्स से मुक्त थे क्योंकि इनको यथास्थिति के आधार पर फायर की एनओसी दी गई थी। इसके अंदर सिर्फ सिलेंडरपानी की टंकी रखना ही अपेक्षित था जिसके आधार पर यह आज तक चलते हैं और फायर की एनओसी मिलती रही है।