देहरादून : अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड में विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने लोकायुक्त के मुद्दे पर त्रिवेंद्र सिंह रावत की अगुवाई वाली भाजपा सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है। विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह कांग्रेस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही है, जिससे भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलने का दावा करने वाली भाजपा सरकार सकते में आ गयी है। हाल ही में संपन्न हुए चार दिवसीय विधानसभा सत्र में भी कांग्रेस नेताओं ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा और आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली सरकार भ्रष्टाचार निरोधी संस्था का गठन करने से बच रही है ।
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और विधानसभा में प्रतिपक्ष की नेता इंदिरा ह्रदयेश ने कहा कि जनता से तीन माह में लोकायुक्त गठित करने का वादा कर सत्ता में आयी वर्तमान सरकार डेढ़ साल गुजर जाने के बाद भी प्रदेश में अब तक लोकायुक्त नहीं गठित कर पाई । उन्होंने सरकार पर इस मुद्दे को लेकर गंभीर न होने का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले साल सरकार द्वारा लाये गये लोकायुक्त अधिनियम से हमारे सहमत होने के बावजूद सरकार ने उसे प्रवर समिति को सौंप दिया और अब इस दिशा में सरकार की ओर से आगे कोई पहल नहीं की जा रही है ।
लोकायुक्त की नियुक्ति लटकाने की कोशिश
उत्तराखंड में पहली बार लोकायुक्त अधिनियम वर्ष 2011 में भुवन चंद्र खंडूरी के मुख्यमंत्रित्व काल में आया था जिसे विधानसभा ने सर्वसम्मति से पारित किया था । इस अधिनियम को राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी की सहमति भी मिल गयी थी, लेकिन उनके बाद मुख्यमंत्री बने विजय बहुगुणा ने इसे निरस्त कर दिया था । पिछले साल मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोकायुक्त अधिनियम विधानसभा में पेश किया लेकिन उसे भी प्रवर समिति को सौंप कर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया ।