नई दिल्ली : दिल्ली सरकार द्वारा पांचवें दिल्ली वित्तीय आयोग की 29 महत्वपूर्ण सिफारिशों को नामंजूर करने पर दिल्ली प्रदेश भाजपा बुरी तरह से बिफर गई है। शुक्रवार को इस पर पार्टी के तीन विधायको ने प्रदेश कार्यालय में प्रेसवार्ता करते हुए दिल्ली सरकार पर नगर निगमों के साथ बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया।
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि वित्तीय आयोग पर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने विधानसभा में भ्रम फैलाने की पूरी कोशिश की और सिफारिशों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया। उन्होंने बताया कि निगमों का शेयर पांच प्रतिशत कम कर दिया, लेकिन इसे दो प्रतिशत बढ़ोतरी की तरह दिखाया गया।
इसमें से भी 6.5 प्रतिशत ऐसा है, जो नगर निगमों को कभी मिल ही नहीं पाएगा और नगर निगमों की वित्तीय स्थिति पहले से भी ज्यादा खराब हो जाएगी। उनका आरोप है कि सरकार ने आयोग द्वारा प्रस्तावित ऋण अदायगी की प्रक्रिया को स्वीकार नहीं किया है। इसका अर्थ यह हुआ कि 2037.54 करोड़ रूपये की ऋण अदायगी पहले की भांति ही देय रह जाएगी।
दिल्ली सरकार निगमों को कर का भाग देते समय उसमें से दिए गए ऋण को काटेगी। आयोग की यह सिफारिश भी रद्द कर दी गई कि निगम अगर 35 से 45 दिन तक ऋण चुकाने की स्थिति में न हो तो ऋण को अनुदान में परिवर्तित कर देना चाहिए। इसके अलावा ट्रांसफर ड्यूटी 3.5 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत करने की सिफारिश को भी सरकार ने रद्द कर दिया।