नई दिल्ली : नेता विपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने मंगलवार को आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार द्वारा 1000 लो-फ्लोर सीएनजी बसें खरीदने के मामले में भारी भ्रष्टाचार और अनियमितताएं की गई हैं। सारा ताना-बाना बोगस कंपनी जेबीएम लिमिटेड को फेवर करने के लिए बुना गया। उन्होंने इस घोटाले के विरुद्ध दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के विशेष पुलिस आयुक्त के समक्ष लिखित शिकायत दर्ज कराई है।
साथ ही मांग की है कि उनकी शिकायत के आधार पर दोषियों के विरुद्ध अविलंब एफआईआर दर्ज की जाए। नेता विपक्ष ने भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को सौंपे गए पत्र में आरोप लगाया है कि डीटीसी के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक एवं परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने दिल्ली परिवहन निगम के अधिकारियों पर नियम कायदों के उल्लंघन करने का दबाव बनाया। तकनीकी रिपोर्ट पर एक ही दिन में दर्जन भर अधिकारियों से हस्ताक्षर करवाकर खुद भी इस प्रस्ताव की उसी दिन स्वीकृति दे डाली। उन्होंने कहा कि परिवहन मंत्री घोटाले में पूरी तरह लिप्त हैं।
इतना ही नहीं भारत सरकार के केवल बीएस-6 बसें खरीदने के पर्यावरण हितैषी नियम को भी ताक पर रख बीएस-4 की बसें खरीदने को स्वीकृति दी गई। नेता विपक्ष ने भ्रष्टाचार निरोधक शाखा से इस घोटाले की गहराई से शीघ्र अतिशीघ्र जांच कराए जाने की मांग की है। विजेन्द्र गुप्ता ने बताया कि डीटीसी द्वारा इस वर्ष 26 जुलाई को 1000 लो-फ्लोर सीएनजी बसों की खरीद के लिए निविदायें आमंत्रित की गईं थीं और निविदायें जमा कराने की अंतिम तिथि 13 सितंबर थी।
मेसर्स जेबीएम लिमिटेड ने जो निविदा भरी थी उसमें सीटों के स्पेसिफिकेशन, निविदा में दिए गए सीटों के स्पेसिफिकेशन से काफी भिन्न थे। यह कंपनी इस कारण टेक्निकल स्पेसिफिकेशन की कसौटी पर असफल हो गई। फिर भी इस कंपनी को टेंडर देने का ऊपर से दबाव बनाया गया। इसलिए अधिकारियों ने टेंडर खुलने के बाद स्पेसिफिकेशंस में परिवर्तन किया गया जिससे यह कंपनी टेक्नीकल स्पेसिफिकेशंस की कसौटी पर असफल न हो।
कंपनी को अवैध रूप से फेवर किया गया। 22 अक्टूबर को सभी अधिकारियों ने दबाव में आकर प्रोक्योरमेंट कमेटी की रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर दिए। इसी दिन डीटीसी के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक/परिवहन मंत्री ने भी उसी दिन अनुमति दे डाली।